इन्दौर कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी फ़ंड का यदि वास्तव में कला के संवर्धन के लिए उपयोग होने लगे तो कलाकारों का भविष्य बहुत बेहतर हो सकता है और देश कला के क्षेत्र में दुनिया को टक्कर दे सकता है। इंदौर शहर में आर्ट कॉलेज की अपनी बिल्डिंग, कला संग्रहालय और आर्ट गैलरी के लिए कलाकार और प्रशासन मिलकर प्रयास करेंगे। इंदौर में बड़े कला महोत्सव आयोजित होंगे और ललित कला अकादमी की मध्यप्रदेश इकाई इंदौर में स्थापित करने के लिए एकीकृत प्रयास होंगे। ये वो सौग़ातें हैं जो शहर के कला जगत को वर्ल्ड आर्ट डे पर स्टेट प्रेस क्लब, मप्र द्वारा आयोजित रूबरु कार्यक्रम में देश -विदेश से पधारीं कला जगत की हस्तियों, प्रशासन, स्थानीय कलाधर्मियों और कला प्रेमियों की सामूहिक सार्थक चर्चा में मिलीं। यह दुर्लभ अवसर था जब कला प्रदर्शनी के लिए शहर पधारे स्वनामधन्य महत्वपूर्ण हस्ताक्षरों ने एक साथ चर्चा की। इनमें बेवर्ली हिल्स की रॉयल क्वीन डेम डॉ. मुन्नी आयरोनी, भारत महोत्सव के संस्थापक डॉ. अमिताभ श्रीवास्तव, कॉस्मिक हार्ट गैलरी की सुश्री जालपा विट्ठलानी,अतिरिक्त मुख्य सचिव, मप्र शासन श्रीमती स्मिता भारद्वाज, अन्तर्राष्ट्रीय ब्यूटी एजूकेटर सुश्री उन्नति सिंह एवं सयाजी होटल की निदेशक श्रीमती सुचित्रा साजिद धनानी शामिल थीं। अलग-अलग पृष्ठभूमि के बावजूद कला जगत और शहर के कलाकारों को बेहतर अवसर प्रदान करने के मुद्दे पर सभी अतिथि न सिर्फ़ एक जाजम पर खड़े नज़र आए बल्कि उनके बीच सामंजस्य इंदौर के कला जगत को कुछ स्थायी सौग़ातें देगा, इसका मजबूत आधार तैयार हुआ, जो कि आयोजन की उपलब्धि माना जाएगा। भारत की आध्यात्मिकता से बेहद प्रभावित आर्ट एंड पीस अवार्ड की संस्थापक डेम डॉ.मुन्नी आयरोनी ने कहा कि वे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारतीय कलाकारों की आवाज़ बनना चाहती हैं, क्योंकि उनकी नजर में भारत से बड़ा कोई ब्रांड नहीं है। वे भारत से इतना लगाव रखती हैं कि स्वयं को हिंदू बनाकर भारतीय आध्यात्म में गहरी डूबी हैं। आर्ट कम्यून के संस्थापक बायोनिक विजुअल आर्टिस्ट डॉ. अमिताभ श्रीवास्तव ने कहा कि बड़ी कंपनियां यदि सीएसआर फंड का कला जगत की भलाई के लिए पूरी ईमानदारी से उपयोग प्रारंभ कर दें तो देश के कलाकारों की दशा ही बदल सकती है। आर्ट का बिकना ज़रूरी है और उसके लिए आर्ट एप्रिसिएशन जरूरी है। उनका मिशन कला जगत को पर्यावरण संरक्षण के साथ जोड़ना भी है। उद्योगपति एवं आर्ट क्यूरेटर सुश्री जालपा एच. विट्ठलानी ने कहा कि कलाकारों को कलाकृति बनाने की कला तो आती है, लेकिन बेचने की कला नहीं आती। कला का कला के कद्रदानों के पास पहुंचना ज़रूरी है ताकि हर घर सुंदर हो। उन्होंने इंदौर के अच्छे कलाकारों को बड़े मंच प्रदान करने की प्रतिबद्धता दिखाई। जानी मानी पॉटरी आर्टिस्ट श्रीमती सुचित्रा धनानी ने घोषणा की कि कोविड काल में बंद हुआ कला महोत्सव माटी फेस्टिवल इस वर्ष से पुनः प्रारंभ किया जाएगा जिसमें शहर के कलाकारों को प्रोत्साहित किया जाएगा। उन्होंने देश विदेश के कला प्रोत्साहकों के साथ मिलकर शहर के कला जगत को आगे बढ़ाने में अपनी सहभागिता का भरोसा दिलाया जिससे शहर में बड़े आयोजन की पृष्ठभूमि बनी। आईएचबी ग्लोबल फोरम की इंडिया हेड श्रीमती उन्नति सिंह ने कहा कि सभी तरह के कला फॉर्म्स के लिए समन्वित प्रयास ज़रूरी हैं। कला जगत के संवर्धन के लिए शासन और निजी क्षेत्र सभी तत्पर हैं तथा आशा की जानी चाहिए कि एकीकृत प्रयास से ठोस नतीजे निकलेंगे। चित्रकार एवं मप्र शासन की एसीएस श्रीमती स्मिता भारद्वाज ने सकारात्मक ऊर्जा दिखाते हुए कहा कि शहर के सौ साल पुराने आर्ट कॉलेज, संग्रहालय, आर्ट गैलरी तथा विभिन्न कलाओं के संवर्धन के लिए एक सेंटर के निर्माण, इन्फ्रास्ट्रक्चर एवं संसाधनों के लिए कोई प्रोजेक्ट यदि कला जगत द्वारा लाया जाता है तो वे अपने विभाग से उसे अमल में लाने का प्रयास करेंगी। मध्यप्रदेश में ललित कला अकादमी का केंद्र अभी तक क्यों नहीं है, इस पर आश्चर्य जताते हुए उन्होंने कला जगत की इस मांग का समर्थन किया कि ऐसा केंद्र इंदौर में खुलना चाहिए तथा वे इसके लिए शासन के स्तर पर प्रयास करेंगी। कला जगत के प्रतिनिधि के रूप में कल स्तंभ के निदेशक श्री पुष्कर सोनी एवं वरिष्ठ कलाकार सुश्री शुभा वैद्य ने उनसे अनुरोध किया कि वे लगभग 20 वर्षों से इस दिशा में शहर के कलाकारों द्वारा किए जा रहे प्रयासों को अंजाम तक पंहुचाएं।
कार्यक्रम के प्रथम चरण में स्टेट प्रेस क्लब, मध्यप्रदेश के अध्यक्ष प्रवीण कुमार खारीवाल,अभिषेक बड़जात्या,पुष्कर सोनी, मोहनलाल मंत्री, नेहा जैन एवं सुदेश गुप्ता ने अतिथियों का स्वागत किया। कार्यक्रम का प्रभावी संचालन एवं आभार प्रदर्शन कलाकर्मी एवं पत्रकार आलोक बाजपेयी ने किया। अंत में अतिथियों को स्मृति चिन्ह एवं स्टेट प्रेस क्लब के प्रकाशन हरेराम बाजपेयी, श्रीमती शुभा वैद्य, सुश्री सोनाली यादव, श्रीमती मीना राणा शाह, डॉ. माधव हसानी एवं प्रवीण धनोतिया ने प्रदान किए।