पटना । चुनावी अखाड़े में अपनाए जाने वाले सियासी दांव पेंच कई बार बड़े रोचक भी होते हैं। बिहार में पूर्णिया सीट पर इन दिनों खूब चर्चा हो रही है। यहां से पप्पू यादव कांग्रेस के नेता हैं और निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। इस सीट पर आखिर तक गहमा-गहमी चलती रही। पप्पू चुनाव के अंतिम दिन तक कांग्रेस का समर्थन प्राप्त होने का दावा करते रहे।अब इस मामले में कांग्रेस ने अपना पल्ला झाड़ लिया है। कांग्रेस की ओर से पप्पू को लेकर चौंका देने वाली प्रतिक्रिया सामने आई है। कांग्रेस ने बुधवार को आधिकारिक तौर पर यह स्पष्ट कर दिया है कि पप्पू यादव ने कांग्रेस की सदस्यता और अपनी पार्टी का विलय नहीं किया है।
पूर्णिया से चुनाव लड़ने वाले पप्पू यादव को लेकर पूछे गए सवाल पर कांग्रेस प्रवक्ता आलोक शर्मा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान आधिकारिक जवाब दिया। पूर्णिया सीट महागठबंधन में राजद के खाते में चली गई थी। शर्मा ने कहा कि मुझे नहीं लगता कि पप्पू ने अपनी पार्टी का कांग्रेस में विलय किया है। उन्होंने पटना में सदस्यता पर्ची भी नहीं ली, जो बिहार से पार्टी में शामिल होने वाले किसी भी व्यक्ति को लेनी पड़ती है। बता दें कि एआईसीसी के बिहार प्रभारी मोहन प्रकाश और मीडिया व प्रचार विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए पप्पू यादव का पार्टी में स्वागत किया और उनकी जन अधिकार पार्टी के विलय की घोषणा की। शर्मा ने कहा कि बहुत से लोग प्रेस कॉन्फ्रेंस में स्नैक्स लेने आते हैं। मैं जो कहना चाह रहा हूं वह यह है कि प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी। बता दें कि बिहार कांग्रेस अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह ने यादव से नामांकन पत्र वापस लेने के लिए कहा था। उन्होंने स्पष्ट किया था कि पार्टी अपने सदस्यों को स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में लड़ने की अनुमति नहीं देती है। हालांकि, यह भी अनुमान लगाया गया था कि कांग्रेस पप्पू के लिए कोई भी रास्ता खोज सकती है। पप्पू यादव खुद को आखिरी सांस तक कांग्रेस, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा का सिपाही कहते हैं। ऐसा माना जाता है कि दबंग सहयोगी राजद के दबाव में उन्हें कांग्रेस का टिकट नहीं दिया गया।