नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए काफी महत्वपूर्ण टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा है कि आरोपी के खिलाफ दोषसिद्धि सिर्फ इस आधार पर खारिज नहीं हो सकती है कि अभियोजन पक्ष का गवाह मुकर गया था। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बी.आर. गवई की अगुवाई वाली बेंच ने निचलली अदालत और हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है। निचली अदालत और हाई कोर्ट से आरोपी को दोषी करार दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दोषसिद्धि सिर्फ इस आधार पर खारिज नहीं की जा सकती कि अभियोजन पक्ष के गवाह ने केस को सपोर्ट नहीं किया और उस गवाह को मुकरा हुआ गवाह घोषित किया गया। यह मामला तमिलनाडु का है। वनियामपड़ी टाउन में 28 जनवरी 2006 को शिकायती लड़की का बयान था कि उसके साथ गैंगरेप हुआ है। पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज कर छानबीन शुरू कर दी। लड़की का मैजिस्ट्रेट के सामने भी बयान दर्ज कराया गया। 22 साल की लड़की का बयान था कि 27 जनवरी को वह काम से जब घर लौट रही थी तो कंपनी के मैनेजर ने उसे काम के बहाने बुलाया और अन्य लोगों के साथ मिलकर रेप किया। निचली अदालत ने आरोपी को गैंगरेप में दोषी करार देते हुए 10 साल कैद की सजा सुनाई। हाई कोर्ट ने सजा बरकरार रखा। फिर मामला सुप्रीम कोर्ट के सामने आया। इस मामले पर अदालत ने कहा है कि अभियोजन पक्ष की गवाही में गवाह के मुख्य बयान और उसके साथ होने वाली जिरह में गैप था। ये गवाह आरोपी के प्रभाव में आ गया और वह अपने मुख्य बयान से अलग जाकर जिरह के दौरान बयान दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि विक्टिम के बयान, गवाह का मुख्य बयान, गवाह का मैजिस्ट्रेट के सामने दिए बयान और मेडिकल रिकॉर्ड से इस मामले में पर्याप्त सबूत हैं।