तेहरान । ईरानी राष्ट्रपति रईसी रविवार को अजरबैजान प्रांत में एक डैम का उद्घाटन करने पहुंचे थे। यहां से वो तबरेज शहर जा रहे थे। इसी दौरान वर्जेकान शहर की पहाड़ियों में हेलिकॉप्टर क्रैश हो गया। माना जा रहा है कि खराब मौसम के कारण हेलिकॉप्टर क्रैश हुआ होगा, लेकिन जिन हालातों में ये दुर्घटना हुई, उस पर सवाल भी उठ रहे हैं। कुछ हैं जो इसके पीछे इजरायल का हाथ होने का आरोप लगा रहे हैं। तो कुछ इसके पीछे सत्ता की लड़ाई भी मान रहे हैं। वो इसलिए क्योंकि रईसी की मौत ईरान में कुछ लोगों के लिए फायदे का सौदा भी मानी जा रही है।
जिस हेलिकॉप्टर क्रैश में इब्राहिम रईसी समेत 9 लोगों की मौत हो गई, उसके पीछे का हाथ बताया जा रहा है। कई ईरानी एक्टिविस्ट ने ये सवाल उठाया है। दरअसल, अयातुल्ला अली खामेनेई 85 साल के हो चुके हैं और कैंसर से जूझ रहे हैं। अब उनके वारिस की तलाश भी शुरू हो गई है। अब तक तो इब्राहिम रईसी को उनका उत्तराधिकारी माना जा रहा था। रईसी को ईरान की इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स कॉर्प्स भी पसंद करती थी। लेकिन रईसी के जाने के बाद अब खामेनेई के बेटे मोजताबा का रास्ता लगभग साफ हो गया है। ईरानी पत्रकार मसीह अलीनेजाद ने एक्स पर लिखा कि कई कंस्पिरेसी थ्योरीज में से एक ये भी है कि इस दुर्घटना में खामेनेई के बेटे का हाथ हो सकता है, ताकि वो अपने पिता की जगह लेने का रास्ता आसान कर सके।
शुरू होगी सत्ता की लड़ाई!
रईसी की मौत के बाद अब ईरान में सत्ता की एक नई लड़ाई शुरू होने की संभावना भी जताई जा रही है। माना जा रहा है कि मोहम्मद बागेर गालीबाफ अगला राष्ट्रपति बन सकते हैं। उन्हें अच्छा-खासा समर्थन हासिल है। इतना ही नहीं, गालीबाफ के जो समर्थक हैं, वो मोजताबा को अगला सुप्रीम लीडर बनाने की वकालत भी करते हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या गालीबाफ और मोजताबा के बीच कुछ ऐसा समझौता हो सकता है, जो दोनों की महत्वाकांक्षाओं को पूरा कर सके। गालीबाफ लंबे समय से ईरान के राष्ट्रपति बनना चाहते हैं, जबकि मोजताबा की ख्वाहिश सुप्रीम लीडर बनने की है।
अगर ऐसा होता है तो इतिहास एक बार फिर दोहराया जाएगा। 1989 में रुहोल्ला खामेनेई की मौत के बाद अयातुल्ला अली खामेनेई और मौलवी अकबर हाशमी रफसंजानी के बीच एक समझौता हुआ था। इससे अयातुल्ला खामेनेई सुप्रीम लीडर बने, जबकि हाशमी रफसंजानी को राष्ट्रपति की कुर्सी मिली. उसके बाद राष्ट्रपति को ज्यादा शक्तियां देने के लिए संविधान भी बदला गया। हालांकि, कुछ सालों बाद जब अयातुल्ला खामेनेई ज्यादा ताकतवर होते गए, तो उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वियों को रास्ते से हटाना शुरू कर दिया। 2017 में रफसंजानी की भी मौत हो गई। ईरान में एक तबका रफसंजानी की मौत को संदिग्ध मानता है।वैसे तो ईरान में सत्ता की असली लड़ाई खामेनेई की मौत के बाद शुरू होने की संभावना है। लेकिन रईसी की मौत को इस सत्ता संघर्ष का रिहर्सल माना जा रहा है।