-हरियाणा या दिल्ली भागने का अंदेशा, टोल प्लाजा के फुटेज खंगाल रही पुलिस
लखनऊ, । हाथरस भगदड़ में हुई मौतों को लेकर प्रशासन की नाकामी और सत्संग आयोजकों पर लगातार उंगलियां उठ रही हैं और सवाल भी खड़े हो रहे हैं। इसी बीच सत्संग करने वाले भोले बाबा उर्फ नारायण साकार हरि को लेकर चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। पुलिस के मोबाइल फोन कॉल डिटेल चेक किया तो कई राज खुले। भोले बाबा ने कब-कब और किन लोगों से बात की इसको लेकर सूत्रों का कहना है कि भोले बाबा घटनास्थल से दोपहर 1:40 बजे चले गए थे। इसके बाद सत्संग के आयोजकों और अन्य लोगों से उनकी लगातार फोन पर बात हो रही। भोले बाबा के फोन का लोकेशन दोपहर बाद 3 बजे से शाम के 4:35 बजे तक मैनपुर के आश्रम में मिला। इस दौरान उन्होंने तीन नंबरों पर बातचीत की।
सूत्रों का कहना है कि भोले बाबा को 2:48 पर सत्संग के आयोजक देव प्रकाश मधुकर का फोन आया इसमें संभवतः उसको भगदड़ की घटना की जानकारी दी गई। भोले बाबा ने मधुकर से फोन पर बात की थी।
सूत्रों का दावा है कि भोले बाबा के फोन का लोकेशन दोपहर बाद 3 बजे से 4:35 तक मैनपुरी के आश्रम में मिला। इस दौरान बाबा ने तीन नंबरों पर बात की। पहला नंबर महेशचंद्र नाम व्यक्ति का था, जिससे तीन मिनट बात हुई। दूसरा संजू यादव का था। बाबा ने इससे 40 सेकंड बात की। तीसरा रंजना का था, जिससे बाबा की बात करीब 11 मिनट तक हुई। खास बात यह है कि रंजना सत्संग के आयोजक देव प्रकाश मधुकर की पत्नी है। संभवत: भोले बाबा ने देवप्रकाश से ही बातचीत की थी। अन्य दो नंबर भी आयोजक समिति के ही हैं। इनमें से महेशचंद्र बाबा का खास बताया जा रहा है। शाम 4:35 के बाद भोले बाबा का फोन स्विच ऑफ हो गया। भोले बाबा की तलाश में पुलिस ने आठ स्थानों पर दबिश दी। बाबा को ढूंढने के लिए इसके साथ ही अलग से 40 पुलिसकर्मियों की टीम बनाई गई है। बाबा के हरियाणा या फिर दिल्ली भागने के चलते टोल प्लाजा से भी फुटेज खंगाले जा रहे हैं। बता दें कि भोले बाबा जाटव समुदाय से आता है। उसके अनुयायी उत्तरप्रदेश, राजस्थान और मध्यप्रदेश में हैं। यह बताया जा रहा है कि एससी/एसटी और ओबीसी वर्ग में भोले बाबा की गहरी पैठ है।
भोले बाबा का पुराना सियासी कनेक्शन भी सामने आया है। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव पिछले साल जनवरी में भोले बाबा के सत्संग में गए थे और बाबा की महिमा के गुणगान में एक पोस्ट शेयर किया था। सियासी धमक की बात की जाए तो बसपा सरकार में भी भोले बाबा की तूती बोलती थी और जाटव बिरादरी में बड़ी दखलंदाजी के चलते लाल बत्ती वाले मंत्री बाबा के आगे-पीछे घूमते थे। सूत्रों का कहना है कि भोले बाबा के कहने पर उनके अनुनायी नेताओं को चुनाव में मदद भी करते रहे हैं। बाबा के सियासी कद का अंदाज़ा इससे लगा सकते हैं कि वह अपने कार्यक्रम में स्थानीय पुलिस को अंदर आने की इजाज़त नहीं देते थे। हाथरस हादसे में भी ऐसा ही कुछ हुआ।