चुनाव में जिनका टिकट कटा वह भी रेबड़ियां पाने में पीछे नहीं
लखनऊ । उत्तरप्रदेश में चुनाव हारने के बाद भी बीजेपी अपने विधायकों को नवाज रही है। विधानसभा चुनाव हारने के बावजूद बहोरन लाल के दिन फिरने के साथ ही बीजेपी में चर्चाओं का बाजार गर्म है। भोजीपुरा के पूर्व विधायक बहोरनलाल मौर्य का विधान परिषद पहुंचना तय है। चर्चा केवल बहोरनलाल की ही नहीं बल्कि लाभ मिलने वालों की लंबी सूची को लेकर है। इससे पहले बहेड़ी से चुनाव हारे छत्रपाल गंगवार लोकसभा पहुंच चुके हैं। ऊंचाहार विधानसभा सीट से हारने वाले अमरपाल मौर्य हों या गाजीपुर से हारीं संगीता बलवंत बिंद, दोनों ही अब राज्यसभा सांसद चुने जा चुके हैं।
बीजेपी चुनाव हारने वालों को इनाम के दौर पद पर आसीन कर रही है। यह मुद्दा इन दिनों पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं के बीच गर्माया हुआ है। सामाजिक समीकरण साधने के नाम पर पार्टी विधानसभा चुनाव हारने वालों को बैकडोर से उच्च सदन पहुंचाने का काम कर रही है।
असल में बीते सालों में बीजेपी ने सामाजिक गुलदस्ते में हर जाति-बिरादरी के फूल सजाने की जो मुहिम शुरू की थी, उसका लाभ हर जाति के लोगों को मिला है। यह अलग बात है कि गिने-चुनों को छोड़ इनमें से ज्यादातर पार्टी की जगह अपने कायाकल्प में ही जुटे रहे। सिर्फ चुनाव हारने वालों को ही नहीं, बल्कि जिन्हें खराब सर्वे रिपोर्ट के चलते पार्टी ने विधानसभा टिकट तक नहीं दिया वह भी रेबड़ियां पाने में पीछे नहीं हैं।
मुगलसराय से 2017 में विधायक बनीं साधना सिंह का टिकट पार्टी ने काट दिया था लेकिन अब वह राज्यसभा की सदस्य हैं। वो भी उसी चंदौली से जहां पहले से उनकी सजातीय दर्शना सिंह राज्यसभा सांसद थीं। इसके बावजूद चंदौली सीट बीजेपी हार गई। चौरी-चौरा से विधायक रहीं संगीता यादव का टिकट कटा तो उन्हें राज्यसभा सदस्य बना दिया। यह अलग बात है कि पूरब से पश्चिम तक यादवों का वोट सिर्फ समाजवादी पार्टी को मिला।
सर्वे रिपोर्ट सही न होने के चलते बीजेपी ने आगरा ग्रामीण सीट से तत्कालीन विधायक हेमलता दिवाकर का टिकट काट दिया था। अब हेमलता को आगरा की महापौर बनाया है। 2017 का चुनाव कानपुर की आर्य नगर सीट से हारे सलिल विश्नोई को बीजेपी ने 2021 में विधान परिषद भेज दिया था। फिर एमएलसी रहते हुए उन्हें 2022 का चुनाव सीसामऊ सीट से लड़ाया लेकिन वह हार गए। विधानसभा चुनाव हारे तेजेंदर निर्वाल अब शामली के जिलाध्यक्ष हैं।