शहर और गांव जुड़ेंगे, तभी सशक्त और समृद्ध भारत की नींव रखी जाएगी : महापौर भार्गव –

:: पद्मश्री महेश शर्मा सहित अनेक अतिथियों की मौजूदगी में एकल रूरल इमर्शन प्रोग्राम का शुभारंभ ::
इन्दौर । आज युवा वर्ग जो शहरों में पढ़ता है या नौकरी करता है वह गांवों की ओर जा रहा है। अपनी जड़ों से जुड़ने की कोशिश कर रहा है। वह चाहता है कि उसका गांव भी विकसित हो, ताकि गांव के साथ सशक्त भारत का निर्माण हो सके। यह तभी संभव है जब शहर और गांव आपस में जुड़ जाएं। ये दोनों जुड़ेंगे तभी सशक्त और समृद्ध भारत की नींव रखी जाएगी।
ये विचार हैं शहर के प्रथम नागरिक पुष्यमित्र भार्गव को, जो उन्होंने एसजीएसआईटीएस में आयोजित एकल रूरल इमर्शन प्रोग्राम की शुरुआत के अवसर पर व्यक्त किए। एकल संस्थान द्वारा आयोजित इस अनूठे कार्यक्रम में एसजीएसआईटीएस के निर्देशक प्रो. नीतेश पुरोहित ने इस अवसर पर छात्रों को किताबी ज्ञान के साथ जमीनी अनुभव प्राप्त करने की जरूरत बताई। एकल संस्थान के ट्रस्टी प्रवीण आर्य ने एकल संस्थान की कार्यप्रणाली और रूरल इमर्शन प्रोग्राम की उपयोगिता पर प्रकाश डाला।
झाबुआ से आए पद्मश्री महेश शर्मा ने झाबुआ में जनजाति समाज के बीच चल रहे सामाजिक समरसता से जुड़े कार्यक्रमों का विवरण दिया। इस अवसर पर एकल संस्थान और एसजीएसआईटीएस के बीच एमओयू भी हस्ताक्षरित किया गया, जिसके तहत इंजीनियरिंग के विद्यार्थी गांवों में जाकर टेक्नालाजी के माध्यम से उन्हें प्रशिक्षित करेंगे। इसके साथ ही एकल संस्थान ने डीसीबीएस मैनेजमेंट स्कूल की सोनल सिसौदिया के साथ भी एमओयू किया। एकल संस्थान की ट्रस्टी नेहा मित्तल ने सभी मेहमानों का स्वागत किया। अतिथियों को स्मृति चिन्ह के रूप में पौधे भेंट किए गए। इस अवसर पर वन बंधु परिषद इन्दौर चेप्टर के अध्यक्ष राम अवतार जाजू, नवल रघुवंशी, डॉ. कृष्णकांत धाकड़, अतुल गुप्ता, सिद्धार्थ शंकर गौतम, मालासिंह ठाकुर, रानू गुप्ता, रुचि गुप्ता, मोहित भार्गव सहित अनेक गणमान्य नागरिक भी अतिथि के रूप में उपस्थित थे।
महापौर ने कहा कि शनिवार-रविवार की छुट्टियां मनाने के लिए शहर के लोग गांवों की ओर बने रिसोर्ट में और गांव के लोग शहर की होटलों में खाना खाने आने लगे हैं। शहरों के लोग को जब होटलों में खाना खाने जाते हैं तो कहते हैं कि घर जैसा खाना खाया और घर में खाना खाते हैं तो कहते हैं कि यह तो होटल जैसा नहीं बना। यही संबंध है शहर और गांव का, और संबंध को जोड़ने की जो कड़ी है, वह है हमारा युवा।