-कहीं यह महायुति में अंदरूनी दरार का संकेत तो नहीं?
मुंबई । महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में प्रचार जोरो पर है। महायुति और एमवीए के बीच सत्ता की लड़ाई अब जोर पकड़ती जा रही है। इस बीच अजित पवार गुट की एनसीपी का पीएम मोदी की मुंबई रैली से दूरी बनाना चर्चा का विषय बन गया। हालाँकि अजित पवार और उनकी पार्टी गठबंधन का हिस्सा है, फिर भी वे पीएम मोदी की रैली में शामिल नहीं हुए और ना ही एनसीपी के कोई दिग्गज नेता। यह स्थिति महायुति में अंदरूनी दरार का संकेत दे रही है, क्योंकि शिंदे गुट की शिवसेना और अठावले की पार्टी के नेता मोदी की रैली में शामिल हुए थे।
अजित पवार के इस कदम को महायुति के लिए अच्छा संकेत नहीं माना जा रहा है। उन्होंने पहले बीजेपी और देवेंद्र फडणवीस के विरोध के बावजूद नवाब मलिक को टिकट दिया और फिर बीजेपी के बटेंगे तो कटेंगे नारे का विरोध किया। अब पीएम मोदी की रैली से दूरियां बनाई। अजित ने एक और संकेत दिया है कि उनके मन में कुछ और ही चल रहा रहा है।
इसका मुख्य कारण लोकसभा चुनाव के नतीजे हो सकते हैं, जहां अजित पवार की एनसीपी को मुस्लिम वोटरों का समर्थन नहीं मिला था। यही वजह है कि उन्होंने नवाब मलिक और उनकी बेटी सना मलिक को चुनावी मैदान में उतारा और बाबा सिद्दीकी के बेटे जीशान सिद्दीकी को भी टिकट दिया। इसके अलावा अजित पवार ने यूपी के सीएम योगी के बटेंगे तो कटेंगे नारे का भी विरोध किया, ताकि मुस्लिम वोटरों को नाराज न किया जा सके। यह घटनाक्रम महायुति में राजनीतिक समीकरणों के बदलाव का संकेत दे रहा है और महाराष्ट्र में 20 नवंबर को होने वाली वोटिंग और 23 नवंबर को परिणामों के बाद यह स्थिति साफ हो जाएगी।