डेमचॉक और देपसांग इलाकों में पेट्रोलिंग फ्रिक्वेंसी पहले से ज्यादा नहीं होगी

-भारत-चीन को समझौते के तहत एक-दूसरे को एक दिन पहले देनी होगी सूचना
नई दिल्ली । पूर्वी लद्दाख के डेमचॉक और देपसांग इलाकों में भारत और चीन के बीच पेट्रोलिंग गतिविधियां जारी हैं। दोनों देशों ने कुल सात पॉइंट्स में से दो पर पेट्रोलिंग प्रक्रिया पूरी कर ली है, बाकी पांच पॉइंट्स पर अभी तक तारीख तय नहीं दी गई है। समझौते के मुताबिक पेट्रोलिंग से पहले एक-दूसरे को कम से कम एक दिन पहले इसकी सूचना देना जरुरी होगा।
सूत्रों के मुताबिक समझौते में यह तय किया गया है कि अप्रैल 2020 से पहले पेट्रोलिंग की जो सामान्य फ्रिक्वेंसी थी, उससे ज्यादा नहीं की जाएगी। पहले भारत महीने में एक पेट्रोलिंग करता था और बर्फबारी के दौरान 2-3 महीने तक पेट्रोलिंग रुक जाती थी। चीन भी इसी पैटर्न का पालन करता था और कभी-कभी तो चीनी सैनिक पेट्रोलिंग करते ही नहीं थे। इस समय भी वही पैटर्न लागू रहेगा।
देपसांग में बाकी चार पॉइंट्स पर दोनों देशों के सैनिक पहले स्वतंत्र रूप से पेट्रोलिंग करेंगे और इसके बाद पेट्रोलिंग की फ्रिक्वेंसी अप्रैल 2020 से पहले की स्थिति में वापस आ जाएगी। डेमचॉक और देपसांग में पेट्रोलिंग करने में करीब 5-6 घंटे से लेकर 20 घंटे तक का समय लगता है, जो पेट्रोलिंग के मार्ग और लंबाई पर निर्भर करता है।
भारत ने 2017 में डेमचॉक में सीएनएन जंक्शन तक पहुंचने के लिए एक नया रास्ता बनाया था, जिसका चीन ने विरोध किया था। वह रास्ता पूरी तरह से तैयार नहीं था। बातचीत में यह तय हुआ कि इस रास्ते का अब कोई भी पक्ष इस्तेमाल नहीं करेगा। चीन ने इस रास्ते को हटाने की मांग की थी, लेकिन भारतीय पक्ष ने साफ कहा कि वह इसका इस्तेमाल नहीं करेगा। भरोसा दिलाने के लिए भारत ने इस रास्ते में कुछ जगहों पर गड्डे भी बना दिए हैं। चीन ने भी डेमचॉक में एलएसी के पास एक नया रास्ता बनाने की कोशिश की थी, लेकिन काम रोक दिया गया था। दोनों देशों ने यह वादा किया है कि वे इन नए रास्तों का इस्तेमाल नहीं करेंगे।