25 साल पहले कारगिल युद्ध की घटनाओं को ताजा कर गए परमवीर चक्र से सम्मानित कैप्टन योगेंद्र यादव –

:: यूनिवर्सिटी में देश भक्ति, देश प्रेम और राष्ट्र समर्पण का संदेश ; हजारों युवा बने सहभागी ::
:: नुक्कड़ नाटक और संगीत की अनोखी प्रस्तुतियों ने देशभक्ति के अनोखे जब्बे को सबके बीच में रखा ::
इन्दौर । देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी में विजय दिवस के अवसर पर परमवीर चक्र विजेता कैप्टन योगेंद्र सिंह यादव ने युद्ध की बारीकियों और कारगिल युद्ध की घटनाओं को ऐसे रखा कि श्रोता सिर्फ कान लगाकर एक टक सुन रहे थे। सबके मन में जिज्ञासा थी अब क्या बोलेंगे। देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी ऑडिटोरियम खंडवा रोड पर आज हजारों की संख्या में युवा मौजूद थे। कार्यक्रम के आयोजक लखन यादव, राहुल यादव ,महेंद्र सिंह यादव, कपिल यादव ने बताया कि राष्ट्र सेवा के लिए समर्पित युवा पीढ़ी के लिए विजय दिवस के अवसर पर देशभक्ति का यह आयोजन रखा था। कार्यक्रम में अतिथियों के द्वारा मां सरस्वती की प्रतिमा के सम्मुख दीप प्रज्वलित कर विधिवत शुभारंभ किया गया। मुख्य वक्ता परमवीर चक्र से सम्मानित कैप्टन योगेंद्र सिंह यादव थे। प्रमुख रूप से कैप्टन सतीश यादव, कमांडर सोमल, बीएसएफ के रिटायर आईजी अशोक यादव, पुरुषोत्तम यादव आदि उपस्थित थे। अतिथियों का सम्मान लखन यादव और राहुल यादव ने किया। फोर्स डिफेंस एकेडमी के सहयोग से विद्यार्थियों ने देशभक्ति और युवाओं के साथ समाज को धर्म संस्कार को वर्तमान समय में सोशल मीडिया के दुरुपयोग से संबंधित अलग-अलग छोटी-छोटी नाट्य प्रस्तुतियों भी दी, जो आज के समय में तार्किक तो थी समाज को चेतना जगाने के काम में बड़े उपयोगी रही। लखन यादव ने बताया कि देश सेवा को समर्पित फोर्स डिफेंस एकेडमी ने 2000 से ज्यादा युवाओं को देश सेवा में जाने का प्रशिक्षण वर्तमान समय में दिया जा रहा है। सैकड़ो युवा यहां से प्रशिक्षण लेकर सेवा में देश की सेवा कर रहे हैं। कार्यक्रम का संचालन कपिल यादव व शिवानी शर्मा ने किया आभार महेंद्र यादव ने माना।
:: 80 फ़ीसदी युवाओं को पता ही नहीं सूर्योदय कब होता है : केप्टन योगेंद्र सिंह
1999 में कारगिल युद्ध लड़ा गया था जिसमें भारत ने विजय पताका फहराई थी, युद्ध के कई पहलू का चित्रण सोमवार को कैप्टन योगेंद्र सिंह यादव ने बखूबी किया और रोंगटे खड़े कर देने वाले संस्मरण सुनाएं। उन्होंने बताया कि इस युद्ध में हमारे सैकड़ो सैनिक शहीद हुए उनकी वीरता और साहस से हमने विजय प्राप्त की है। युद्ध के माहौल के बारे में बताया कि एक समय ऐसा आया मैं भी जख्मी हो गया, मेरा शरीर काम नहीं कर रहा था हाथ और पैर होने का एहसास नहीं था, सिर्फ सांसे चल रही थी, और आंखें खुली तो देखता हूं कि अपने साथियों की लाश में पड़ी है, किसी का हाथ नहीं तो किसी का पेर नहीं कोई सर धड़कने अलग नजर आ रहा हे, कुछ साथियों के शरीर से खून के फव्वारे छूट रहे हैं ऐसा कठिन समय आंखों और चेतना को भी हिला रहा था। कैप्टन योगेंद्र सिंह यादव ने बताया कि युवा देश की तस्वीर बदल सकते हैं बस इन्हें रुकना नहीं है झुकना नहीं है विश्वास के साथ सकारात्मक भाव से कदम आगे बढ़ाना है कैप्टन यादव बोले की विडंबना है आज के 65 फ़ीसदी युवाओ में से 80 फ़ीसदी पीढ़ी ऐसी है जिसको पता ही नहीं की सूरज कब उदय होता है आधी रात से ज्यादा समय तक रिल बनाने को सोशल मीडिया पर गुजार देते हैं। सुबह नहीं दोपहर में उठते हैं उनमें जोश नहीं है उत्साह नहीं है तो प्रसन्नता कैसे आएगी युवाओं को जीवन शैली में चेंज लाना होगा। कैप्टन यादव बोले कि युवाओं को ऐसे काम करना चाहिए कि लोग उनको गूगल पर सर्च करें, आदर्श बनना चाहिए।
:: युद्ध टेक्नोलॉजी से नहीं सैनिकों के जिगर से जीते जाते हैं ::
कैप्टन योगेंद्र सिंह यादव ने बोला कि युद्ध में अत्याधुनिक हथियार संसाधन आज की आवश्यकता हो गई है लेकिन इससे भी ज्यादा जरूरी है कि युद्ध टेक्नोलॉजी के साथ सैनिकों के जिगर से जीत जाते हैं उनके जज्बे और हौसले कामयाबी और विजय प्राप्त कराते हैं।