नई दिल्ली । नए अध्ययन में सामने आया हैं कि एच5एन1 वैक्सीन से किशोरों और बच्चों को अधिक लाभ हो सकता है, भले ही यह वैक्सीन मौजूदा वायरस के लिए विशेष रूप से न बनी हो। अमेरिकी शोधकर्ताओं ने बताया कि कुछ खास प्रकार के मौसमी फ्लू वायरस से पहले हुए संक्रमण, एच5एन1 बर्ड फ्लू के खिलाफ शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत कर सकते हैं। अध्ययन में पता चला कि 1968 से पहले के फ्लू वायरस के संपर्क में आए बुजुर्गों में एच5एन1 वायरस से लड़ने वाली एंटीबॉडी अधिक पाई गईं।
शोधकर्ताओं ने बताया, बचपन में हुए फ्लू संक्रमण से बनी रोग प्रतिरोधक क्षमता जीवन भर रहती है। शोधकर्ताओं ने पाया कि दशकों पहले एच1एन1 और एच3एन2 वायरस के संपर्क में आने से बनी एंटीबॉडी अब एच5एन1 वायरस से भी प्रतिक्रिया कर सकती हैं। हालांकि ये एंटीबॉडी संक्रमण को पूरी तरह रोकने में सक्षम नहीं हैं, लेकिन अगर एच5एन1 का प्रकोप बढ़ा तब यह बीमारी की गंभीरता को कम कर सकती हैं। एच5एन1 वायरस कई सालों से पक्षियों में फैल रहा था, लेकिन हाल ही में इसका एक नया प्रकार (क्लेड 2.3.4.4बी) सामने आया है, जो अब मवेशियों में भी फैल रहा है। यह मौजूदा वायरस अभी तक मानव श्वसन तंत्र की कोशिकाओं से आसानी से नहीं जुड़ता, लेकिन यदि यह स्तनधारी जीवों में अधिक फैला, तब इसमें इसतरह के बदलाव हो सकते हैं जिससे यह इंसानों में तेजी से फैल सके। यदि ऐसा हुआ, तब एच5एन1 इंसानों के बीच भी फैल सकता है। मौजूदा फ्लू वैक्सीन मुख्य रूप से वायरस के हीमैग्लुटिनिन प्रोटीन को पहचानने वाली एंटीबॉडीज बनाती हैं, जो वायरस को शरीर की कोशिकाओं में प्रवेश करने से रोकती हैं।
शोधकर्ताओं ने 1927 से 2016 के बीच जन्मे 150 से अधिक लोगों के खून के नमूनों की जांच की, ताकि यह देखा जा सके कि उसमें एच5एन1 सहित विभिन्न फ्लू वायरस से लड़ने वाली एंटीबॉडी कितनी हैं। उन्होंने पाया कि 1968 से पहले जन्मे लोगों में, जिन्हें बचपन में एच1एन1 या एच2एन2 वायरस का सामना करना पड़ा था, उसमें एच5एन1 वायरस से लड़ने वाली एंटीबॉडी अधिक थीं। अध्ययन में सामने आया कि किसी व्यक्ति के जन्म वर्ष का उसके शरीर में एच5एन1 वायरस से लड़ने वाली एंटीबॉडी की मात्रा से गहरा संबंध है। छोटे बच्चे, जिन्हें अभी तक मौसमी फ्लू वायरस का सामना नहीं करना पड़ा, उनमें इस वायरस से लड़ने वाली एंटीबॉडीज बहुत कम मिली।