आईसीएमआर की नई स्टडी में आया सामने
नई दिल्ली । कैंसर जैसी बीमारी मरीज ही नहीं, पूरे परिवार को बर्बाद कर देती है। ताजा रिपोर्ट आई है, इसमें कहा गया है कि नदी नालों के पास रहने वाले लोगों को कैंसर होने का खतरा अधिक होता है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) की स्टडी रिपोर्ट की लिखित जानकारी केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने राज्यसभा में दी है। उन्होंने बताया कि अध्ययन के नतीजों में सामने आया है कि सीसा (लेड), लोहा (आयरन) और एल्युमिनियम केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की तय सीमा से ज्यादा मिले हैं।
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि मोदी सरकार कैंसर के इलाज की बेहतर सुविधाएं देने के लिए काम कर रही है। इसके लिए स्ट्रेंग्थनिंग ऑफ टर्शियरी केयर कैंसर फैसिलिटीज स्कीम लागू है। इस योजना के तहत 19 स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट (एससीआई) और 20 टर्शियरी केयर कैंसर सेंटर (टीसीसीसीएस) को मंजूरी दी गई है। हरियाणा के झज्जर में राष्ट्रीय कैंसर संस्थान और कोलकाता में चित्तरंजन राष्ट्रीय कैंसर संस्थान का दूसरा कैंपस भी तैयार हो रहा है। इन संस्थानों में कैंसर की जांच और इलाज की आधुनिक सुविधाएं मिलेंगी। सभी 22 नए एम्स में भी कैंसर के इलाज की सुविधाएं दी जा रही हैं। इसमें जांच, दवा और सर्जरी की सुविधाएं शामिल हैं।
मंत्री अनुप्रिया ने बताया कि सरकारी अस्पतालों में गरीब और जरूरतमंद लोगों का इलाज मुफ्त या बहुत कम कीमत पर होता है। आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (एबी पीएमजेवाय) के तहत भी कैंसर का इलाज करवाया जा सकता है। योजना में हर परिवार को हर साल 5 लाख रुपये तक का इलाज मुफ्त मिलता है। इससे देश के 12.37 करोड़ परिवारों के 55 करोड़ लोग (आबादी का सबसे गरीब 40 प्रतिशत हिस्सा) फायदा उठा रहे हैं। हाल ही में, पीएम-जेवाय ने 70 साल से ज्यादा उम्र के सभी बुजुर्गों को स्वास्थ्य बीमा दिया है।
उन्होंने बताया कि एबी पीएमजेवाय के तहत, कैंसर के इलाज के लिए 200 से ज्यादा पैकेज हैं। इन पैकेज में मेडिकल ओंकोलॉजी, सर्जिकल ओंकोलॉजी, रेडिएशन ओंकोलॉजी और पैलिएटिव मेडिसिन के 500 से ज्यादा प्रक्रियाएं शामिल हैं। ये सभी नैशनल हेल्थ बेनिफिट पैकेज (एचबीपी) मास्टर में दिए गए हैं। प्रधानमंत्री जनऔषधि परियोजना (पीएमबीजेपी) के तहत प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि केंद्र (पीएमबीजेके) खोले गए हैं। इन केंद्रों पर अच्छी क्वॉलिटी की जेनेरिक दवाइयां सस्ती कीमतों पर मिलती हैं। 28 फरवरी तक देश में कुल 15,057 पीएमबीजेके खोले जा चुके हैं।