इन्दौर | आयकर अपील विषय पर आयोजित सेमिनार में विशेषज्ञों ने आयकर में प्रथम अपील की तैयारी, स्टे ऑफ डिमांड और पेनल्टी होल्ड विषय पर व्याख्यान देने के साथ ही बताया कि अब आयकर की प्रथम अपील की प्रक्रिया पूरी तरह फेसलेस हो गई है। अपील में सफलता पाने के लिए ड्रॉफ्टिंग स्किल्स का अच्छा होना जरूरी है। टैक्स प्रैक्टिशनर्स एसोसिएशन और सीए शाखा इन्दौर द्वारा आयोजित इस सेमिनार में वरिष्ठ सीए पीडी नागर ने कर निर्धारण आदेश की डिमांड पर स्टे से जुड़े न्यायिक निर्णयों की जानकारी देते बताया कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के राज्यसभा में दिए स्टेटमेंट के अनुसार देश में 71 हजार केस आयकर ट्रिब्यूनल, हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं वहीं 6 लाख से ज्यादा केस कमिश्नर अपील में पेंडिंग हैं। इनमें 11.80 लाख करोड़ की टैक्स डिमांड लंबित है। जबकि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की रिपोर्ट के अनुसार कुल 43 लाख करोड़ की टैक्स डिमांड पेंडिंग है, जिसमें से 29 लाख करोड़ की डिमांड डाउटफुल है। उन्होंने बताया कि डिमांड की 20% राशि चालान से जमा करने पर स्टे मिल जाता है। टैक्स प्रेक्टिशनर एसोसिएशन के अध्यक्ष सीए जेपी सराफ ने कहा आयकर अधिनियम 1961 के अनुसार अपील का मतलब है करदाता को लगे उस पर गलत या अनुचित कर लगाया गया है, तो वह याचिका दायर कर सकता है। मानद सचिव सीए अभय शर्मा ने सावधान करते सलाह दी कि अपील दायर करने से पहले असेसिंग अफसर के आदेश ध्यान से पढ़ें। अपील में आदेश के सभी बिंदु कवर हो गए, यह सुनिश्चित करना चाहिए। सीए मनीष डफरिया ने बताया स्टेटमेंट ऑफ फैक्ट, ग्राउंड्स ऑफ अपील और सुनवाई के समय उचित सबमिशन से अपील में सफलता की संभावना बढ़ती है। अब मौखिक रूप से केस समझाने की व्यवस्था नहीं है, इसलिए खराब ड्रॉफ्टिंग से अच्छा केस भी विफल हो सकता है। कर निर्धारण आदेश के खिलाफ अपील तकनीकी और मेरिट दोनों आधारों पर की जानी चाहिए। सेमिनार में सीए मिलिंद वाधवानी, प्रमोद गर्ग, अजय सामरिया, दीपक माहेश्वरी, अभिषेक गांग, नीलेंदु दवे, केके चतुर्वेदी, जीबी अग्रवाल, नीलेश माहेश्वरी सहित बड़ी संख्या में सदस्य शामिल हुए।