नई दिल्ली, । भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया संघर्ष के बाद अंतरराष्ट्रीय खुफिया समुदाय की नजर दिल्ली पर है। दुनिया की भारत में दिलचस्पी की वजह चीन में बनी पीएल-15 एयर-टू-एयर मिसाइल है। इस मिसाइल से पाकिस्तान ने भारत पर हमला किया था। भारतीय फौज ने इसे नाकाम कर मिसाइल को मार गिराया था। इस मलबे को फाइव आइज इंटेलिजेंस एलायंस यानी (अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड) के साथ-साथ फ्रांस और जापान भी भारत से लेना चाहते हैं। ये देश इस मिसाइल के मलबे पर रिसर्च करना चाहते हैं ताकि चीन की आधुनिक सैन्य तकनीक के बारे में पता कर सकें।
भारत और पाकिस्तान के बीच हुए संघर्ष में पंजाब के होशियारपुर में पीएल-15 मिसाइल के टुकड़े मिले थे। जानकारी के मुताबिक पाकिस्तान ने चीन से मिले जे-10सी और जेएफ-17 लड़ाकू विमानों से पीएल-15ई मिसाइलें भारत में दागी गई थीं। पहली बार इस आधुनिक हथियार का इस्तेमाल किया गया था। ऐसे में हथियार बनाने में अग्रणी चीन के प्रतिद्वंद्वी देश इस मिसाइल को एक खजाना मान रहे हैं जिस पर वह रिसर्च कर सकें इसलिए वह इसे भारत से मांग रहे हैं।
पीएल-15 मिसाइल चीन की हवाई युद्ध क्षमता का अहम हिस्सा है। इसे अमेरिका की एआईएल-120डी और यूरोप की एमबीडीए मेयेटर मिसाइलों से मुकाबले के लिए बनाया गया है। इसका एईएसए रडार सीकर, टू-वे डेटा लिंक और डुअल-पल्स मोटर अत्याधुनिक तकनीक का नमूना हैं। ऐसे में मलबे का विश्लेषण करने से इसके गाइडेंस सिस्टम, प्रपल्जन, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध और चीन की सैन्य ताकत का अंदाजा लगाया जा सकता है। इससे फाइव आइज, खासतौर से अमेरिका को चीन के साथ भविष्य में होने वाले किसी संघर्षों में मदद मिल सकती है।
फाइव आइज और जापान दक्षिण एशिया में चीन के बढ़ते प्रभाव को एक रणनीतिक चुनौती के रूप में देखते हैं। खासकर इंडो-पैसिफिक में चीन इनके लिए चुनौती है। वहीं फ्रांस भारत को हथियार बेचता है। फ्रांस इसमें दिलचस्पी रखता है कि उसके राफेल जेट चीनी हथियारों से लैस विरोधियों के खिलाफ प्रतिस्पर्धी बने रहें। ऐसे में पीएल-15 का विश्लेषण उसे भविष्य में भारत के साथ हथियारों के सौदों और सैन्य सहयोग के बारे में जानकारी दे सकता है।
चीन की एविएशन इंडस्ट्री कॉरपोरेशन ने पीएल-15 मिसाइल बनाई है। यह लंबी दूरी की हवा में मार करने वाली मिसाइल है। इस मिसाइल में एक्टिव इलेक्ट्रॉनिकली स्कैन्ड एरे रडार सीकर और डुअल-पल्स रॉकेट मोटर लगा है। इसके घरेलू वर्जन की रेंज 200-300 किलोमीटर है। हालांकि पाकिस्तान ने पीएल-15ई का इस्तेमाल किया, जिसकी रेंड 145 किलोमीटर तक है। इस मिसाइल को लड़ाकू विमानों और हवाई पूर्व चेतावनी प्रणालियों जैसे महत्वपूर्ण लक्ष्यों को निशाना बनाने के लिए डिजाइन किया गया है।