संघर्ष, साहस से आगे बढ़ी रीतु आई-बस का स्टेयरिंग थाम अन्य महिलाओं को भी आगे बढ़ने की दे रही है प्रेरणा –

इन्दौर । पुण्यश्लोका देवी अहिल्याबाई होलकर एक कुशल शासिका होने के साथ-साथ एक साहसिक महिला भी थी। उन्होंने महिलाओं को सशक्त बनाने की दिशा में जो कार्य किये, वह बेमिसाल है। इसी परम्परा को आगे बढ़ाने का कार्य कर रही है पिंक आई बस की महिला चालक सुश्री रीतु नरवाले।
एआईसीटीएसएल की पिंक आई बस की चालक सुश्री रीतु नरवाले आज महिलाओं को संदेश दे रही है कि अब महिलाएं भी स्टेरिंग थामकर यात्रियों को सफर कराने के साथ-साथ वह आत्मनिर्भर भी बन सकती है। हाई स्कूल परीक्षा उत्तीर्ण रीतु ने बचपन में ही तय कर लिया था की उसे नौकरी कर परिवार में हाथ तो बटाना ही है, लेकिन कुछ ऐसा क्षेत्र चुनना है जिसमें पुरूषों का वर्चस्व हो। इस मान से उसे ड्राइविंग का क्षेत्र बेहतर लगा। बस फिर क्या था- रीतु ने पहले दुपहिया वाहन स्कूटर और बाईक चलाना सीखा उसके बाद ऑटो-रिक्शा चलाना भी सीख लिया। इससे उसका आत्मविश्वास बड़ा तो रीतु ने चारपहिया वाहन चलाने का मन बनाया। इसी दौर में उसने इन्दौर की स्वयंसेवी संस्था समान सोसायटी में संपर्क किया जो महिलाओं को रियायती दर पर ड्राइविंग का प्रशिक्षण देती है। रीतु ने उक्त सोसायटी में प्रवेश कर कुछ से महिनों में अच्छे कार चलाने का प्रशिक्षण प्राप्त कर लिया। उसके बाद तो रीतु ने इंडिका, इनोवा क्रिस्टा महिन्द्रा आदि कारों को चलाना सीख लिया। इसी दौरान रीतु को मेरियट होटल में महिला चालक की नौकरी मिल गई। जहां कस्टमर को एयरपोर्ट से होटल से लाने ले जाने का कार्य था।
तीन वर्ष तक रीतु ने होटल इंड्रस्टी में कार्य किया। इस दौरान उसने भारी वाहन चलाने का लायसेंस प्राप्त कर लिया और अब वह आईशर से लेकर यात्री बस तक चलाने लग गई है। कुछ समय उसने टूरिस्ट बसे भी चलाई। वर्ष-2019 में एआईसीटीएसएल में आई बस चलाने के लिये महिला ड्राइवर की वेकेंसी निकली। रीतु ने वहां संपर्क किया और इंटरव्यू में पास हो गई। आज उस बात को पूरे 6 वर्ष हो गये, तब से रीतु एआईसीटीएसएल की ब्लू आई बस से लेकर पिंक आई बस चला रही है और अन्य महिलाओं को प्रेरित भी कर रही है। रोजाना सुबह 5 बजे वह यूनिफार्म पहनकर एआईसीटीएसएल के विजय नगर डिपो पर पहुंच जाती है।
सुबह 6 से दोपहर दो बजे तक निरंजनपुर चौराहे से राजीवगांधी चौराहे तक सैकड़ो यात्रियों को पिंक आई बस में सफर करा रही है रीतु को शुरू-शुरू में समाज का विरोध का सामना करना पड़ा। लेकिन अब रीतु को कोई दीदी तो कोई बहन जी सम्बोधित करते है। रीतु के काम की प्रशंसा नगरीय विकास एवं आवास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, महापौर पुष्यमित्र भार्गव और कलेक्टर आशीष सिंह तक कर चुके है। रीतु का कहना है कि महिला ड्राइविंग से आत्मविश्वास बढ़ता है और भीतर का डर समाप्त हो जाता है। रीतु महिला ड्राइविंग कर महिलाओं को प्रेरित करने के साथ-साथ अपने बुजुर्ग माता पिता को आर्थिक सहयोग भी कर रही है।