साल में एक बार ही खुलता है उज्जैन का यह नागचंद्रेश्वर का मंदिर …. तक्षक नाग है विराजित

उज्जैन । धर्म की नगरी उज्जैन में एक ऐसा मंदिर भी है जो सिर्फ वर्ष में एक बार ही खुलता है और यहां दर्शन करने के लिए लाखों लोग पहुंचते है। मंदिर खुलने का अवसर होता नागपंचमी और पुराणों में उल्लेखित है कि इस मंदिर में स्वयं तक्षक नाग विराजित है। जिस मंदिर की बात यहां हो रही है वह भगवान नागचंद्रेश्वर का मंदिर है और यह मंदिर महाकाल मंदिर परिसर में स्थित है।

11वीं शताब्दी की प्राचीन प्रतिमा
इस मंदिर में 11वीं शताब्दी की एक प्राचीन प्रतिमा है, जिसे नेपाल से लाया गया था। इस प्रतिमा में भगवान शिव अपने परिवार के साथ दशमुखी सर्प शय्या पर विराजमान हैं, जो इस मंदिर को और भी विशेष बनाती है।

भगवान शंकर सांपों के शय्या पर विराजमान हैं
ज्योतिर्विद पं. आनंदशंकर व्यास बताते हैं कि नागचंद्रेश्वर मंदिर में भगवान विष्णु की जगह भगवान शंकर सांपों के शय्या पर विराजमान हैं। इस अद्वितीय प्रतिमा को लेकर कहा जाता है कि ऐसी प्रतिमा और कहीं नहीं है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सर्पराज तक्षक ने भगवान शंकर को प्रसन्न करने के लिए घोर तपस्या की थी, जिसके फलस्वरूप उन्हें अमरत्व का वरदान मिला। उसके बाद से तक्षक राजा ने प्रभु के सान्निध्य में ही वास करना शुरू कर दिया। लेकिन, उनके एकांतवास में विघ्न न हो इसलिए, उनके मंदिर को साल में एक बार खोले जाने की मान्यता है।

1050 ईस्वी में किया गया मंदिर का निर्माण
इस प्राचीन मंदिर का निर्माण राजा भोज ने 1050 ईस्वी के आसपास कराया था। इसके बाद, सिंधिया घराने के महाराज राणोजी सिंधिया ने 1732 में महाकाल मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था, जिसमें इस मंदिर का भी जीर्णोद्धार शामिल था।

पूजा और व्यवस्था महानिवार्णी अखाड़ा के संन्यासियों द्वारा
नागचंद्रेश्वर मंदिर की पूजा और व्यवस्था महानिवार्णी अखाड़ा के संन्यासियों द्वारा की जाती है। अखाड़े के महंत विनित गिरी महाराज के अनुसार इस मंदिर की पूजा विधिवत रूप से की जाती है। यहां भगवान विष्णु की जगह भगवान भोलेनाथ सर्प शय्या पर विराजमान हैं। कहा जाता है कि दुनिया में इस तरह की प्रतिमा और कहीं नहीं हैं।

सोमवार की रात 12 बजे खुलेंगे पट
इस वर्ष नागपंचमी का पर्व 29 जुलाई तक मनाया जाएगा। मंदिर के पट सोमवार 28 जुलाई की रात 12 बजे से खुलेंगे लेकिन इसके पहले मंदिर की तरफ से पूजा अर्चना की जाएगी। मंदिर के पट मंगलवार की रात 12 बजे बंद किए जाएंगे। मंदिर प्रशासन द्वारा इस दिन दर्शन के लिए विशेष व्यवस्था की जाती हैं ताकि श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की असुविधा न हो।

दर्शन करने से सर्प दोष से मुक्ति मिलती है
नागचंद्रेश्वर मंदिर में दर्शन करने से सर्प दोष से मुक्ति मिलती है। कालसर्प योग जैसे ग्रह दोष शांत होते हैं। जीवन में आने वाली अचानक विपत्तियों और बाधाओं से रक्षा होती है और संतान प्राप्ति और सुखमय पारिवारिक जीवन की कामना पूरी होती है।