नई दिल्ली । कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ पर तंज कसा है। उन्होंने कहा कि धनखड़ ने राज्यसभा के सभापति पद पर रहते हुए विपक्ष को सदन में बोलने नहीं दिया। जब धनखड़ ने खुलकर बोलना शुरु किया और केंद्र के साथ अन्य मुद्दों पर तालमेल बैठाने से इंकार किया, तब उन्हें अपने पद से ही हटा दिया गया।
रिपोर्ट के मुताबिक कांग्रेस अध्यक्ष खरगे ने दावा किया कि पूर्व सभापति को जस्टिस यशवंत वर्मा मामले में विपक्षी सांसदों द्वारा पेश किए गए प्रस्ताव पर, केंद्र सरकार की मंशा अनुरूप कार्य न करने की वजह से हटा दिया गया। कांग्रेस नेता खरगे ने कहा, उनसे कहा गया कि या वह प्रस्ताव को वापस ले लें या इस्तीफा दें दें। उन्होंने इस्तीफा दे दिया। पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित कर खरगे ने कहा कि अपने कार्यकाल के दौरान खरगे ने कभी भी विपक्षी सांसदों को बोलने की अनुमति नहीं दी। कांग्रेस सांसद रजनी अशोक राव पाटिल के मामले का जिक्र कर खरगे ने कहा, पिछले उपराष्ट्रपति हमें बोलने नहीं देते थे। वे हमें निलंबित कर देते थे, हमारी एक महिला सांसद को सात महीने के लिए निलंबित किया गया था। गौरतलब है कि कांग्रेस सांसद पाटिल पर 2023 में बजट सत्र के दौरान सदन की कार्यवाही का वीडियो बनाने और सोशल मीडिया पर साझा करने का आरोप लगा था, इसके बाद तत्कालीन सभापति धनखड़ ने सदन के नियमों के उल्लंघन के मामले में उन्हें निलंबित किया था। बाद में अगस्त 2023 में उनके निलंबन को रद्द किया गया। खरगे ने कहा, एक समय पर सरकार का बचाव करने को लेकर आलोचना का सामना कर रहे धनखड़ ने खुलकर बोलना शुरू कर दिया। जस्टिस वर्मा केस में उन्होंने नियमों की बात की। इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज के ऊपर आए प्रस्ताव के बारे में बात की, तब उन्हें धमकाया गया और उन पर प्रस्ताव को वापस लेने का दवाब डाला गया।