उज्जैन । मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के विशेष प्रयासों से विक्रम विश्वविद्यालय का नाम अब सम्राट विक्रमादित्य विश्वविद्यालय हो गया है। विधानसभा में विधेयक पारित होने के बाद जैसे ही राज्यपाल मंगूभाई पटेल की मुहर लगेगी, इस ऐतिहासिक फैसले पर अंतिम मुहर लग जाएगी। विश्वविद्यालय के कार्यपरिषद सदस्यों और कुलपति ने मुख्यमंत्री के प्रति आभार व्यक्त किया है।
:: मुख्यमंत्री की घोषणा हुई पूरी ::
दरअसल, बीते कई वर्षों से विश्वविद्यालय का नाम सम्राट विक्रमादित्य के नाम पर रखने की मांग की जा रही थी। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने गत 30 मार्च को विश्वविद्यालय के 29वें दीक्षांत समारोह में यह घोषणा की थी। इसके बाद विश्वविद्यालय की कार्यपरिषद ने प्रस्ताव पारित कर राज्य शासन को भेजा था, जिसे कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद अब विधानसभा में पारित कर दिया गया है। विश्वविद्यालय के कार्यपरिषद सदस्य राजेश सिंह कुशवाह और कुलगुरु प्रो. अर्पण भारद्वाज ने इस निर्णय को ऐतिहासिक बताया है।
:: गौरवशाली इतिहास का नया अध्याय ::
विक्रम विश्वविद्यालय की स्थापना 1 मार्च 1957 को हुई थी, जिसकी आधारशिला तत्कालीन गृह मंत्री गोविंद वल्लभ पंत ने रखी थी। यह विश्वविद्यालय प्राचीन उज्जैन की समृद्ध सांस्कृतिक और शैक्षिक परंपराओं को दर्शाता है। नाम में बदलाव से इसकी पहचान और भी मजबूत होगी, जिससे इसकी पहचान वैश्विक स्तर पर पहुंचेगी।
विश्वविद्यालय के कुल सचिव डॉ. अनिल शर्मा, कार्य परिषद सदस्य रूप पमनानी, श्रीमति मंजुषा मिमरोट, वरुण गुप्ता, डॉ. संजय वर्मा सहित विभिन्न संकायों के अध्यापकों और कर्मचारियों ने मुख्यमंत्री डॉ. यादव का आभार व्यक्त किया है।