निमिषा प्रिया मामला: सुप्रीम कोर्ट असत्यापित बयान रोकने की मांग पर सुनवाई को तैयार

नई दिल्ली । यमन में हत्या के मामले में मौत की सजा पाई भारतीय नर्स निमिषा प्रिया से जुड़े मामले में सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक नई याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति जताई है। याचिका में व्यक्तियों और संगठनों द्वारा ‘असत्यापित सार्वजनिक बयान’ देने पर रोक लगाने की मांग की गई है।
सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने याचिकाकर्ता केए पॉल से कहा कि वह याचिका की एक प्रति अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी के कार्यालय को सौंपें। अदालत ने याचिका पर नोटिस जारी करते हुए अगली सुनवाई की तारीख 25 अगस्त तय की है। डबल बैंच ने स्पष्ट किया कि यह याचिका ‘सेव निमिषा प्रिया इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल’ द्वारा पहले से लंबित याचिका के साथ जोड़ी जाएगी। याचिकाकर्ता पॉल ने अदालत को बताया है, कि उन्हें प्रिया से एक ‘चौंकाने वाला पत्र’ मिला है, जिस पर प्रिया और उसकी मां के हस्ताक्षर हैं। उन्होंने कहा, कि ‘वर्ष 1992 से मैं यमन जाता रहा हूं। वहां युद्ध की स्थिति है। प्रिया फंस गई थी और वह एक पीड़ित है।’ उन्होंने दावा किया कि उन्होंने पीड़ित परिवार, हूती नेतृत्व और अन्य पक्षों से बातचीत की है। पॉल ने कहा कि प्रिया ने मीडिया में गलत बयानों पर रोक लगाने के लिए कानूनी हस्तक्षेप की अपील की है।
सुप्रीम कोर्ट की प्रतिक्रिया
सुप्रीम कोर्ट ने पॉल से सवाल किया कि ‘उसकी मां उसकी देखभाल कर रही है, आप चिंतित क्यों हैं?’ इस पर पॉल ने कहा कि उन्हें दोनों पक्ष ‘शांतिदूत’ के रूप में मानते हैं। अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता को केवल नोटिस मिलेगा और वह लंबित मामले से जुड़ सकता है।
निमिषा प्रकरण अब तक
यहां बताते चलें कि साल 2017 में निमिषा प्रिया को अपने यमनी कारोबारी साथी की हत्या के आरोप में दोषी ठहराया गया था। इसके बाद 2020 में यमन की अदालत ने उन्हें मौत की सजा सुनाई। साल 2023 में अंतिम अपील खारिज कर दी गई। 16 जुलाई को तय फांसी पर रोक लगी। 14 अगस्त को भारत सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि प्रिया को ‘तत्काल कोई खतरा नहीं’ है और राजनयिक स्तर पर प्रयास जारी हैं। वर्तमान में प्रिया यमन की राजधानी सना की जेल में बंद हैं और उनकी रिहाई या सजा में राहत के लिए भारत सरकार लगातार कूटनीतिक प्रयास कर रही है।