शांतिपूर्वक मतदान होने से सूबाई सत्ता में बदलाव तय

मध्यप्रदेश विधानसभा के सम्पन्न हुए इलेक्शन में शांति सुकून से निपट गए मतदान की वजह से सूबाई हुक्कामी में जहाँ बदलाव तय नजर आ रहा है वहीं पर चुनाव आयोग की सख्ती के चलते पहले की बनिस्बत इस दफा फर्जीमतदान इक्का दुक्का जगहों को छो.डकर नहीं  हो पाया है। जो लोग फर्जी वोट करवाने में माहिर है, हेराफेरी करके ही इलेक्शन को फतह करते हैं उन्हें इस मर्तबा निराशा ही हाथ लगी है क्योंकि मशीनों में तो किसी किस्म की कोई सेटिंग होती हुई नजर नहीं आई है। जो लोग वोट डाल रहे थे मशीन उन्हें दिखा रही थी कि उन्होंने किसको वोट दिया है अत: वह हालात तो कहीं दिखाई नहीं दिए कि कोई भी बटन दबाओ पर मशीन में सेटिंग के चलते वोट भाजपा को ही जाते थे जिससे पार्टी के उम्मदवार भारी बहुमत से इलेक्शन में फतह का परचम लहरा देते थे।

मगर इस मर्तबा चुनाव आयोग और प्रतिपक्षी पार्टी के कार्यकर्ताओं की सक्रियता के चलते वैसा होता हुआ कहीं दिखाई नहीं दिया है। कहीं कहीं मशीनें अवश्य ही खराब हुई थी जिन्हें समय पर बदल कर मतदान में कोई बाधा पैदा नहीं होने दी है। एक बात अवश्य हुई है कि किसी किसी मतदान केन्द्र पर मशीनें थो.डी देर से पहुँची जहाँ शुरूआती आपाधापी अवश्य ही हुई थी मगर मशीनें आने के बाद फिर मतदान सुचारू रूप से अन्त तक होता हुआ पाया गया है। हालांकि कुछ लोगों ने रंग में भंग डालने का प्रयास अवश्य किया है। एक सांसद प्रतिनिधि सांवेर में भाजपाई उम्मीदवार को जिताने के लिए मतदाताओं को पैसे बाँटते हुए अवश्य ही पक.डे गए हैं लोगों ने उनकी पिटाई भी की है। उनके पास खबर थी कि चालीस लाख रुपये पक.डे गए हैं जो थाने आते-आते ढाई लाख ही रह गए थे उत्त* करिश्मा कैसे हुआ किसकी शह पर हुआ यह बात तो पर्दे के पीछे ही रह गई मगर यह बात साफ हो गई है कि विधायिका में कुछ ऐसे तत्व हैं जो वोटों की खरीद फरोख्त करके सियासत को तिजारत बनाने का काम कर रहे हैं जिनसे सभी को सावधान रहना होगा क्योंकि वह स्वस्थ्य लोकतंत्र के शत्रु है जो अपनी हीन हरकतों से माहौल को गंदलाने का काम करते रहते हैं।

बहरहाल सूबे में इलेक्शन सम्पन्न हो गए हैं अ’छी खासी वोटिंग हो चुकी है मतदाता ने खामोशी से मतदान किया है उसने किसको गुलेगुलजार किया और किसको धूलधूसरित कियाहै इसका खुलासा तो ११ दिसम्बर को ही होगा जब वोटों की गिनती होगी मगर जिन्हें सियासत पर चर्चा करने की बीमारी है उनके लिए तो अपना वत्त* बिताने का अ’छा खासा शगल मिल गया है। अब वह रातों दिन पता नहीं किसको जिताते किसको हराते हुए अपने तर्क देते फिरेंगे। चूंकि यहाँ पर फुर्सती लोगों की तादाद अ’छी खासी है अत: जगह-जगह उनकी महफिलें सजना स्वाभाविक है वैसे तो आम चर्चा यही है कि यह इलेक्शन सामान्य नहीं होते हुए असामान्य चुनाव थे जो किन्हीं पार्टियों में नहीं होते हुए जनता बनाम भाजपा के मध्य हो रहे थे।

शिवराजसिंह की १३ साला सूबाई हुकूमत और सा.ढे चार साल की नरेन्द्र मोदी की अगुवाई में चल रही केन्द्रीय सरकार ने आम जनता के साथ जो सलूक किया है उस पर मत विभाजन थे। जिससे परेशान हाल अवाम दोनों सरकारों से इस दर्जा खफा हैं कि वह उस पार्टी के उम्मीदवार को वोट कर देगी जो भाजपाई उम्मीदवार को शिकस्त देता हुआ दिखाई देगा। जब जनता ने पहले ही तय कर लिया था कि वह किस उम्मीदवार को वोट देगी तब उसकी खामोशी स्वाभाविक ही थी क्योंकि उसका तो लक्ष्य साफ था कि उसे किसको वोट देना है अत: लोग बगैर किसी बहस के घर से निकले और जो तय कर रखा उसको वोट देकर चुपचाप अपने घर आ गए। यह पहला ऐसा इलेक्शन था जब मतदाता ने बगैर किसी रुकावट के खामोशी से अपने मतका उपयोग कर लिया है।

मतदाता की खामोशी का राज यही है कि उसे हुक्कामी पार्टी के विरुद्घ वोट करना था वह कर आए हैं अब ११ दिसम्बर को ही पता चलेगा कि उन्होंने किस उम्मीदवार का कैसा फैसला किया है अ’छी बात यही है कि मतदाता जागरुक हो गया है उसको अपने मताधिकार का उपयोग करना अ’छे से आ गया है इसका मतलब साफ है कि अब प्रदेश और देश का भविष्य उ”वल ही होगा क्योंकि सभी ऐसा ही चाहते हैं।

जागा है इंसान जमाना बदलेगा।

जनता का फरमान जमाना बदलेगा।।

कबीरा बदलते वत्त* की नजाकत को देखकर आनंदित हो रहा है।