(नई दिल्ली) कांग्रेस की झोली में गए छग, राजस्थान, मप्र, पूर्वोत्तर का अंतिम किला ढहा – तेलंगाना में राव का जादू बरकरार
नई दिल्ली (ईएमएस)। विधानसभा चुनाव में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में कांग्रेस ने शानदार प्रदर्शन किया है। मध्य प्रदेश में जहां कांग्रेस का 15 साल का सूखा खत्म हो गया, वहीं छत्तीसगढ़ में उसने रिकॉर्ड वापसी की है। मध्य प्रदेश में कांग्रेस को 114 सीटें मिली हैं, यह संख्या बहुमत से सिर्फ दो सीट कम है। इस बीच, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपना इस्तीफा दे दिया है। जबकि, कांग्रेस ने सरकार बनाने का दावा किया है।
राजस्थान में हर पांच सालों में सत्ता में बदलाव की परंपरा इस बार भी बरकरार रही है। पांच साल के अंतराल के बाद राज्य में कांग्रेस की जीत हुई है। राजस्थान की 200 सीटों में से 199 सीटों पर चुनाव हुए हैं। जिसमें कांग्रेस को 100 सीटें मिली हैं।
राजस्थान में अशोक गहलोत के अनुभव और सचिन पायलट के जोश का कॉकटेल कांग्रेस के लिए जादुई साबित हुआ। तेलंगाना में जहां जनता को कांग्रेस-टीडीपी गठबंधन रास नहीं आया और एक बार फिर केसीआर पर भरोसा जताया है। वहीं मिजोरम हाथ से निकलते ही पूर्वोत्तर में कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया है।
मप्र में 4 बागियों, सपा, बसपा के समर्थन से कांग्रेस बनाएगी सरकार
मध्य प्रदेश: कुल सीट-230
कांग्रेस- सीटें 114, वोट शेयर (40.9फीसदी)
भाजपा- सीटें 109, वोट शेयर (41.0फीसदी)
अन्य- सीटें 07, वोट शेयर (12.1फीसदी)
मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनाना कोई मुश्किल काम नहीं है। समाजवादी पार्टी ने पहले ही कांग्रेस को समर्थन देने का ऐलान किया है। यह भी खबर है कि मायावती ने भी कांग्रेस के साथ जाने का मन बना लिया है। चार पूर्व कांग्रेसी भी निर्दलीय के रुप में चुनाव जीते हैं, उन्हें अपने पाले में लाने में कांग्रेस को ज्यादा मुश्किल नहीं है। इस बीच, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपना इस्तीफा दे दिया है। जबकि, कांग्रेस की राज्य इकाई के अध्यक्ष कमलनाथ ने राज्य में सरकार बनाने का दावा पेश किया है। सरकार बनाने की जोड़तोड़ के साथ ही इस बात के लिए भी उधेड़बुन शुरू हो गई है कि कांग्रेस आलाकमान किसे मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बिठाता है। इस पद के लिए कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया का नाम लिया जा रहा है।
राजस्थान में वसुंधरा ने मानी हार, इस्तीफा दिया
राजस्थान: कुल सीट-199
भाजपा- सीटें 73, वोट शेयर (39.0फीसदी)
कांग्रेस- सीटें 99, वोट शेयर (40.2फीसदी)
अन्य- सीटें 26, वोट शेयर (20.8फीसदी)
राजस्थान में वसुंधरा राजे ने जनादेश का सम्मान करते हुए अपनी हार मान ली है। उन्होंने कहा कि वह और उनके अन्य पार्टी सहयोगी जनता की आवाज को विधानसभा में उठाते रहेंगे। राजस्थान में हर पांच साल में सरकार बदलने की परंपरा बरकरार है। कांग्रेस के लिए अब मुख्यमंत्री चुनने की बारी है, जिसमें अशोक गहलोत और सचिन पायलट रेस में हैं।
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की आंधी में उड़ी भाजपा
छत्तीसगढ़: कुल सीट-90
भाजपा- सीटें 15, वोट शेयर (31.9फीसदी)
कांग्रेस- सीटें 68, वोट शेयर (46.6फीसदी)
अन्य- सीटें 7, वोट शेयर (21.6फीसदी)
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की बंपर जीत हुई है, पंद्रह साल से सत्ता पर काबिज भाजपा 90 में सिर्फ 15 सीटों पर ही सिमट गई है। रमन सिंह ने हार ने हार की जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दे दिया है। मध्यप्रदेश और राजस्थान की तरह सभी की निगाहें कांग्रेस आलाकमान की ओर लग गई हैं कि छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री की कुर्सी किसे सौंपी जाएगी। छत्तीसगढ़ में भाजपा के वोट शेयर में भी भारी गिरावट हुई है।
तेलंगाना में जनता ने फिर केसीआर पर जताया भरोसा
तेलंगाना: कुल सीट-119
टीआरएस- सीटें 88, वोट शेयर (46.6फीसदी)
कांग्रेस – सीटें 21, वोट शेयर (33.3फीसदी)
भाजपा- सीटें 1, वोट शेयर (6.7फीसदी)
अन्य- सीटें 2, वोट शेयर (13.3फीसदी)
तेंलगाना के लोगों ने के. चंद्रशेखर राव के नेतृत्व वाली तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के प्रति दोबारा विश्वास जताया है। कांग्रेस और टीडीपी को लोगों ने समर्थन नहीं दिया। असदुद्दीन ओवैसी भी केसीआर के समर्थन में थे। उन्होंने तेलंगाना की 8 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे जिनमें उन्हें 7 सीटों पर जीत मिली है।
मिजोरम में टूटा ललथनहवला का तिलिस्म, एमएनएफ को स्पष्ट बहुमत
मिजोरम: कुल सीट-40
कांग्रेस- सीटें 7, वोट शेयर (30.6फीसदी)
एमएनफ- सीटें 27, वोट शेयर (37.9फीसदी)
भाजपा- सीटें 1, वोट शेयर (8.3फीसदी)
अन्य- सीटें 5, वोट शेयर (23.2फीसदी)
पूर्वोत्तर का आखिरी राज्य मिजोरम भी कांग्रेस के हाथ से निकल गया है। राज्य ने एमएनएफ पर भरोसा दिखाया है। वहीं भाजपा एक सीट पाने में कामयाब रही है। कांग्रेस की हालत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पांच बार के मुख्यमंत्री पी ललथनहवला दो जगह से चुनाव लड़े और दोनों जगह से हार गए। वह पिछले दस सालों से राज्य के मुख्यमंत्री थे। उनके मुकाबले जोरामथंगा के नेतृत्व में एमएनएफ ने अच्छा प्रदर्शन करते हुए राज्य से सत्ता समीकरणों को पूरी तरह से उलट दिया है।
अनिरुद्ध / 12 दिसम्बर