आफीसर्स कन्फेडरेशन के आहृवान पर बैंकों में नहीं हुआ कामकाज

खनऊ 21 दिसम्बर (वार्ता) अखिल भारतीय बैंक ऑफिसर्स कन्फेडरेशन के आह्वान पर शुक्रवार को उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीयकृत बैंकोंं में बैंक अधिकारी हड़ताल पर रहे जिससे बैंकों में कामकाज ठप रहा।

अाफीसर्स कन्फेडरेशन के मीडिया प्रभारी अनिल तिवारी ने यहां बताया कि वेतन विसंगति, एनपीए वसूली, पेंशन अद्यतन पुनरीक्षण एवं एवं पारिवारिक पेंशन में सुधार जैसी मांगों को लेकर शुक्रवार को बैंक कर्मचारी हड़ताल पर रहे। उन्होने बताया कि आज से लगातार छह दिन बैंकों का कामकाज प्रभावित होगा। 22 दिसंबर को चौथे शनिवार और 23 को रविवार होने के चलते बैंकों में अवकाश होगा। 24 दिसम्बर सोमवार को बैंक खुलेंगे। अगले दिन 25 दिसम्बर को क्रिसमस का अवकाश और 26 दिसंबर को अधिकारियों के साथ बैंक कर्मचारी भी हड़ताल में शामिल होंगे, इसके चलते बुधवार को भी बैंकों में कामकाज नहीं होगा।
श्री तिवारी ने बताया कि बैंककर्मी बैंकों के मर्जर का विरोध करते हुए वेतन निर्धारण और 11वां वेतनमान फौरन दिए जाने की मांग कर रहे हैं। बैंककर्मी 11वें वेतनमान की मांग को लेकर इसके पहले मई में भी हड़ताल पर थे। इसके बाद भी मांगों की सुनवाई नहीं होने के कारण आज फिर एसोसिएशन ने हड़ताल की अपील की है।
कई दिनों तक कामकाज नहीं होने के कारण आगामी कुछ दिनों में लोगों को इस समस्या से रूबरू होना पड़ सकता है। राजधानी लखनऊ में आज लगभग सभी राष्ट्रीय बैंक बंद हैं। प्रदेश की औद्योगिक राजधानी कानपुर, वाराणसी, इलाहाबाद, बरेली, अलीगढ़, मेरठ, फैजाबाद समेत सभी जिलों से बैंकों में हड़ताल की सूचनायें मिल रही हैं।
प्रांतीय महामंत्री दिलीप चौहान ने कहा कि न्यूनतम वेतन, कोर बिजनेस, एनपीए वसूली, नई पेंशन स्कीम को समाप्त करना, पेंशन अद्यतन पुनरीक्षण एवं एवं पारिवारिक पेंशन में सुधार जैसी मांगों पर बैंक कर्मचारी शुक्रवार और 26 दिसम्बर को हड़ताल पर रहेंगे।
उन्होंने कहा कि आईबीए पिल्लई कमेटी की संस्तुतियों को लागू करना चाहिए जिसमें बैंक अधिकारियों का वेतन सिविल सेवा अधिकारी के समान होना चाहिए। उन्होंने कहा कि आफीसर्स कन्फेडरेशन के चार्टर ऑफ डिमांड के अनुरूप 11वें द्विपक्षीय समझौता करने की मांग करता है। पारिवारिक पेंशन में सुधार तथा तीन सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों व ग्रामीण बैंकों के विलय के विरोध के साथ ही बैंक अधिकारियों पर पूरे देश में हो रहे हमले, चिकित्सा सुविधाओं में कटौती तथा स्वास्थ्य बीमा के प्रीमियम में बढ़ोत्तरी समेत अन्य मुद्दे शामिल हैं।
भंडारी
वार्ता