प्रदेश में भ्रष्टाचार की हद…जो क़िस्सों में था वो हक़ीकत में किया 

पाँच साल तक बिना टेंडर ,बिना बिल  हर महीने करोड़ों की खरीदी कर सरकार को लगाया चूना
अधिकारियों की मिली-भगत के बिना भुगतान कैसे निकला ?
सप्लायर से सामग्री लेकर खुले बाज़ार में बेची दी 
इंदौर/धार (राजेन्द्र के.गुप्ता 98270-70242) भ्रष्टाचार की ऐसी हदें पार की जिसे जान कर विश्वास करना मुश्किल हो रहा है ! जनता को पानी ,बिजली और स्वच्छ शहर देने के नाम पर बिना टेंडर ,बिना बिल और बिना शासकीय प्रक्रिया पूरी किए अधिकारियों ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जा कर करोड़ों रूपयों की सामग्री हर माह खरीदी और उसे सरकारी कर्मचारी खुले बाज़ार में बेचते रहे । अब पूर्व विधायक प्रताप ग्रेवाल ने शिकायत की तो कलेक्टर ने दो दिन में मय रिकार्ड के प्रतिवेदन प्रस्तुत करने का आदेश दिया है ।
मामला इंदौर संभाग के धार ज़िले की सरदारपुर तहसील की नगर परिषद का है । नगर परिषद सरदारपुर में वर्ष 2013 से 2018 की अवधि में सरकार को करोड़ों रूपए महीने का चुना लगाया जाता रहा और जनता के हिस्से का सुख सुविधाएँ फ़र्जीवाड़ा करने वाले नेता अधिकारी डकारते रहे । पूर्व में भी इस मामले की शिकायत हुई तो रिकार्ड ही नही मिला ! जाँच कमेटी भी बनाई गई उसने प्रतिवेदन भी दिया । बस एक कर्मचारी वो भी सहायक ग्रेड -3 को निलंबित कर लीपापोती करने का प्रयास किया गया ।बड़े और मुख्य ज़िम्मेदार अब भी मजे में है कुछ ने तो प्रमोशन भी पा लिया । जबकि फर्ज़ीवाडे की अवधि पाँच साल में पदस्थ रही पूर्व परिषद अध्यक्ष ,सीएमओ ,लेखापाल ,आडिटर ,सप्लायर,ठेकेदार और शासकीय सामग्री ख़रीदने वाले व्यापारी सभी दोषी है । इन सभी की मिली-भगत के बिना भुगतान कैसे जारी किया और निकला जा सकता ? इतनी अधिक मात्रा में शासकीय सामग्री का उपयोग ज़िम्मेदार अधिकारियों को ना फ़ील्ड में ,ना रिकार्ड में दिखा यह कैसे संभव है ? सभी ज़िम्मेदारों को बर्खास्त कर इनके विरुद्ध तत्काल एफआईआर दर्ज की जाना चाहिए और शासकीय सामग्री जब्त की जाना चाहिए थी ।है ना आश्चर्य पर आश्चर्य … बेलगाम होते अफसरशाही का ऐसा उदाहरण अब तक नही दिखा होगा…। जिनकी ज़िम्मेदारी इस पर नजर, निगरानी और नियंत्रण रखने की थी उन बड़े अफसरों को पता ही नही चला ,ये सबसे बड़े आश्चर्य की बात इसलिए है क्योंकि करोड़ों रुपये महीने की फर्ज़ी तरीक़े से ख़रीदी होती रही ,भुगतान भी होता रहा और सरकारी कर्मचारियों के द्वारा शासकीय सामग्री खुले बाज़ार में बेची जाती रही । ये सब तीन साल तक चलता रहा । अब सवाल यह उठता है कि अफसरों की बिना मिली-भगत के भुगतान कैसे निकल गया ? जनता को बिजली ,पानी और स्वच्छ शहर तीन साल तक कागज़ों पर मिलता रहा और ज़िम्मेदार सोते रहे ! इस मामले को लेकर सरदारपुर के पूर्व विधायक प्रताप ग्रेवाल ने दिनांक 23/10/2018 को धार कलेक्टर दीपक सिंह को लिखित शिकायती आवेदन दिया । ग्रेवाल ने अपने शिकायती आवेदन के साथ साक्ष्य भी दिए । ग्रेवाल के आवेदन पर कलेक्टर सिंह ने राधेश्याम मंडलोई ज़िला परियोजना अधिकारी शहरी विकास (डूडा) को जाँच का ज़िम्मा सौंपते हुए दो दिन में रिपोर्ट तलब की है । मंडलोई ने बताया की एसडीएम एस.एन.दर्रों और सरदारपुर परिषद के प्रभारी सीएमओ प्रियंक नवीन पंडया को निर्देश दे दिए है । एसडीएम दर्रों दिनांक 24 अक्टूबर को प्रतिवेदन बना कर मय रिकार्ड के प्रतिवेदन 25 अक्टूबर को धार कलेक्टर दीपक सिंह  के सामने पेश करेंगे । उसी आधार पर आगे की कार्यवाही निर्धारित की जाएगी । इस मामले में इंदौर के पत्रकार – आरटीआई कार्यकर्ता आर.के.गुप्ता ने दिनांक 01/10/2018 को सीएस बी.पी.सिंह और संभागायुक्त राघवेंद्र सिंह को मय दस्तावेज़ों के शिकायत की है । यह मामला मध्यप्रदेश में भ्रष्टाचार की हद है ,ऐसे मामले सिर्फ़ क़िस्सों में बोले जाते थे उसे सरदारपुर नगर परिषद के पदाधिकारियों और अधिकारियों ने हक़ीकत में कर दिखाया ।अब पूर्व परिषद अध्यक्ष श्रीमती रोमा धर्मेन्द्र मंडलोई को 10 साल के लिए आपात्र घौषित करने ,मंडलोई सहित सभी दोषियों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज करने, बर्खास्त करने और राशि वसूलने की शिकायत हुई है ।
इन पर लगे है फर्ज़ीवाड़ा और जनता के साथ धोखा करने के आरोप –
श्रीमती रोमा पति धर्मेन्द्र मंडलोई पूर्व अध्यक्ष नगर परिषद सरदारपुर , तीन साल की अवधि में पदस्थ रहे सात सीएमओ जिनमे एक इंदौर तहसीलदार भी रहे है और प्रमोशन पा कर वर्तमान में एसडीएम बन गए है ,जिनसे प्रतिवेदन माँगा है वो पंड़्या भी फर्ज़ीवाडे की अवधि में दो बार प्रभारी सीएमओ रहे है और नगर परिषद में मुख्य लिपिक लेखापाल है,जितेन्द्र गोखले सहायक ग्रेड -3 (इन्हें निलंबित किया जा चुका है), आडिटर, लेखापाल, सभी सप्लायर,ठेकेदार और शासकीय सामग्री ख़रीदने वाले व्यापारी ।