बच्चों ने सहारा नहीं दिया तो मंदिर के आश्रयगृह जा पहुंचे दीप नारायण, अंग्रेजी में मांगते हैं भीख

 रांची। संत जेवियर कॉलेज पार्क स्ट्रीट कोलकाता से स्नातक करने वाले 74 वर्षीय दीप नारायण लाल आज राजधानी की सड़कों पर भीख मांगकर गुजारा करते हैं। उन्होंने अपने बच्चों को अच्छी तालीम दी, लेकिन उन्होंने अपने पिता की बढ़ापे की लाठी बनना मंजूर नहीं किया। नतीजतन पत्नी की मौत के बाद एकाकी हो गए दीप नारायण का गुजारा आजकल भीख मांग कर हो रहा है। उनका आशियाना पहाड़ी मंदिर के पास स्थित आश्रयगृह बन गया है।
शिक्षा-दीक्षा अच्छी थी, इस लिए उनके बच्चों को अच्छी कंपनियों में काम मिल गया। इस दौरान उनके बड़े बेटे का देहांत हो गया है, लेकिन वह अपने परिवार के साथ नहीं रहते। इस बीच उन्होंने आशियाना पहाड़ी मंदिर के पास स्थित आश्रय गृह को बना रखा है। वहां वे रात में अपना गुजारा करते हैं। दिन में वह मंदिर के आसपास भीख मांगते दिखाई देते हैं। इस अवस्था में उन्हें चलने में भी परेशानी होती है।
झूठा आश्वासन मिला
दीप नारायण लाल ने बताया कि एक बार एक एनजीओ के लोगों ने उनकी इस स्थिति के बारे में पूछा, लेकिन कभी भी कोई उनके दर्द को साझा करने नहीं आया। उन्होंने बताया कि उन्हें अच्छी जगह ले जाने तक की बात कही, लेकिन वो सुबह कभी नहीं आई। उनकी पत्नी का निधन होने के बाद वह बेहद एकाकी हो गए हैं।
अंग्रेजी में बयां किया अपना दर्द
डीएन लाल हिन्दी के अलावा अंग्रेजी भी बोल लेते हैं। उनकी अंग्रेजी की रफ्तार भले ही धीमी हो, लेकिन अपनी बातों को स्पष्ट रूप से रखते हैं। पढ़े लिखे लोगों से वह अंग्रेजी में ही भीख मांगते हैं। उन्होंने बताया उन्हें शुरू से पढ़ने का काफी शौक रहा। कोलकाता से 1943 को पढ़ाई पूरी करने के बाद वे रांची में काम करने पहुंचे और यहीं डोरंडा में उनकी शादी हुई थी। रोते हुए उन्होंने कहा कि जीवन का अंतिम क्षण ऐसे गुजरेगा उन्होंने कभी सोचा नहीं था।
अनिरुद्ध, ईएमएस, 24 दिसंबर 2018