नेताओं ने छोडी पार्टी तो जनता ने भी नकारा

दशकों तक सिर आंखों पर बिठाने के बाद भी खारिज कर दिया
भोपाल । मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव -2018 से पहले प्रदेश के जिन नेताओं ने अपनी पार्टी छोडी तो जनता ने भी उन्हें नकार दिया। प्रदेश के जिन नेताओं ने पार्टी बदलकर चुनाव लडा, उनमें भाजपा, कांग्रेस और बसपा के दिग्गज नेता शामिल है। वरिष्ठ भाजपा नेता रामकृष्ण कुसमारिया बाबा, सरताज सिंह, रामोराम गुप्ता, वरिष्ठ कांग्रेसी नेता सत्यव्रत चतुर्वेदी के पुत्र नितिन एवं बसपा के रामप्रकाश राजोरिया का पार्टी छोड़कर चुनाव में उतरना जनता को रास नहीं आया।दशकों तक हाथों-हाथ लेने वाले मतदाताओं ने उन्हें खारिज कर दिया। कुछ सीटों पर भाजपा की हार का कारण बने कुसमारिया अब लोकसभा चुनाव के लिए भी कमर कसने लगे हैं। पूर्व मंत्री कुसमारिया कहते हैं कि भाजपा नेताओं ने जिस तरह मेरी फजीहत की और स्वाभिमान को ठेस पहुंचाया, उस वजह से ही मुझे यह निर्णय लेना पड़ा। मुझे इस बात का दुख है कि अपनी ही पार्टी जिसे मैंने बड़े संघर्ष के बाद खड़ा किया, उसके खिलाफ काम करना पड़ा। भाजपा को जमाने के लिए मैंने अपने क्षेत्र में डाकुओं तक से संघर्ष किया। लोकसभा चुनाव के लिए अब क्या तैयारी है? इस सवाल पर कुसमारिया ने जवाब दिया कि चुनावी मैदान में उतरने की मेरी पूरी तैयारी है। दमोह, खजुराहो अथवा जबलपुर पर नजर है। अभी रणनीति बन रही है, इनमें से किसी भी सीट पर पूरी तैयारी से चुनाव लड़ने उतरूंगा। मजाकिया लहजे में वह कहते हैं कि इन तीनों में से किसी भी सीट पर कबड्डी खेलने के लिए मैंने तैयारी कर ली है। क्या कांग्रेस की ओर से उम्मीदवारी मिलेगी? इस सवाल पर उनका जवाब था कि देखते रहिए अभी इस बारे में पत्ते नहीं खोलूंगा।
होशंगाबाद में भाजपा छोड़कर कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े पूर्व मंत्री सरताज सिंह कहते हैं कि लोकसभा चुनाव के लिए फिलहाल मेरी कोई रुचि नहीं है, लेकिन कांग्रेस प्रत्याशी को जिताने के लिए नरसिंहपुर तक पूरी ताकत से मेहनत करूंगा। वह बताते हैं कि कांग्रेस संगठन को सशक्त बनाने के लिए ढांचागत सुधार की भी जरूरत है। इसी तरह भाजपा के प्रदेश कोषाध्यक्ष जैसे महत्वपूर्ण पद पर रहे रामोराम गुप्ता पार्टी से टिकट नहीं मिलने पर सपाक्स के टिकट पर चुनावी मैदान में उतर थे। बसपा के रामप्रकाश राजोरिया का भी अपनी मूल पार्टी बसपा से नाता तोड़कर चुनाव लड़ना मतदाताओं को रास नहीं आया।खजुराहो के समीप राजनगर विधानसभा से कांग्रेस का टिकट नहीं मिलने पर सपा की ओर से चुनाव मैदान में उतरे नितिन चतुर्वेदी को भी हार का सामना करना पड़ा। हालांकि नितिन के पिता एवं दिग्गज कांग्रेसी नेता सत्यव्रत चतुर्वेदी ने भी बेटे को जिताने के लिए पूरी मेहनत की, लेकिन मतदाताओं ने साथ नहीं दिया।
सुदामा/25दिसंबर2018