सालाना 60 लाख रुपए खर्च हो रहे एंटी रेबीज वैक्सीन पर
भोपाल । राजधानी में हर साल कुत्तों के काटने के मामले बढते ही जा रहे हैं। इन पीडितों के इलाज पर करीब 60 लाख रुपए सालाना खर्च करना पड रहा है। सूत्रों की माने तो पिछले साल 9015 लोगों को कुत्तों ने काटा। पिछले 10 सालों में 2014 के बाद यह सबसे बड़ा आंकड़ा है। 2014 में 11 हजार लोगों को कुत्तों ने काटा था। कुत्तों के काटने के चलते हर साल करीब 60 लाख रुपए सिर्फ एंटी रेबीज वैक्सीन पर खर्च हो रहे हैं। कर्मचारियों के वेतन और अन्य खर्च को शामिल कर लिया जाए तो हर साल करीब 2 करोड़ रुपए की चपत कुत्तों से लग रही है। सरकारी अस्पतालों में यह खर्च सरकार उठाती है, जबकि निजी अस्पतालों में मरीजों की जेब से खर्च होता है। निजी अस्पतालों में करीब 60 फीसदी मरीज जाते हैं। यहां भी एक मरीज को पांच इंजेक्शन लगाए जाते हैं। मरीज से एक इंजेक्शन के करीब 250 रुपए लिए जाते हैं। यानी पांच इंजेक्शन लगवाने पर करीब 1250 रुपए का खर्च है। कुत्तों की संख्या में कमी आए तो यह राशि बेकार होने से बच जाएगी। साथ ही जनता की परेशानी भी खत्म हो जाएगी।
इसके अलावा अगर कुत्ते ने चेहरे में काटा है तो इम्यूनोग्लोबलिन का इंजेक्शन भी लगाया जाता है। इसके अलावा अगर कुत्ता पागल हो तो भी यह इंजेक्शन लगाना जरूरी होता है। इसकी कीमत करीब चार हजार रुपए है। सरकारी अस्पतालों में सिर्फ भर्ती होने पर यह इंजेक्शन मुफ्त में लगता है, जबकि कुत्ता काटने के ज्यादातर मरीज भर्ती नहीं होते। लिहाजा मरीजों को ही यह खर्च उठाना पड़ता है। जेपी अस्पताल में हर दिन करीब 25 नए मरीज कुत्ते काटने के आ रहे हैं। लगभग इतने ही मरीज हमीदिया अस्पताल में भी आ रहे हैं। जेपी अस्पताल की इमरजेंसी के डॉक्टरों ने बताया कि मिसरोद क्षेत्र, बैरागढ़ व लालघाटी के बीच, भीम नगर, अन्ना नगर, सोनागिरी, ग्यारह सौ क्वार्टर, पंचशील नगर, साकेत नगर, कमला नगर थाने के पास, शक्ति नगर, पीएनटी चौराहे के आसपास के क्षेत्रों से ज्यादा मरीज आते हैं। आईडीएसपी की रिपोर्ट के अनुसारसाल 2011 में 5391 लोगों को कुत्तों ने शिकार बनाया। वहीं साल 2012 में 7433 लोगों को काटा। 2013 में 8976 को, 2014 में 11700 लोगों को, 2015 में 8659 लोगों को, 2016 में 7013 को, 2017 में 4656 को और 2018 में 9015 लोगों को अपना शिकार बनाया। इसी तरह साल मार्च 2019 तक में 1236 लोगों को कुत्तों ने काटा।
सुदामा नर-वरे/12मई2019