सुबह की सुंदर बेला में स्नान से निवृत होकर मालती देवी ने भगवान को नहला कर आसन पर विराजमान किया तिलक चंदन कर फूल अर्पित किये ।
“माला की थेली उठाई और माला फेरना शुरू किया हर मनके पर मंत्र पढ़ा ।”
लेकिन वावजूद इसके की मन स्थिर होता वो माला गिनने में लग गया ।
उससे हटा तो रसोईघर में होने वाली खटर-पटर पर चला गया ।
पता नहीं आज बहू कैसी चाय बनाई होगी शायद वही काली चाय मिलेगी तंग हाथ से वो और दे भी क्या सकती है ?
सोच का गलियारा तंग होने लगा खाने पीने और बच्चों के ऊधम पर जा कर केन्द्रित हो गया ।
माला का उद्देश्य आज भी पूरा नहीं हुआ ध्यान सधा ही नहीं ।
माला फेरना बंद कर कर डायरी निकाली माला की संख्या अंकित कर दी ।
अर्विना गहलोत
D9सृजनविहार
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