अमरकंटक से गायब हो गई 16 नदियां

पौधरोपण कर नदियों और पर्यावरण को बचायें : कमिश्नर

जलसंरक्षण और पर्यावरण की सुरक्षा विषय पर अमरकंटक में आयोजित हुई कार्यशाला
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शहडोल। कमिश्नर शोभित जैन ने कहा है कि वनों के अंधाधुंध विदोहन से नदियों का जलस्तर कम हुआ है। नदियां प्रदूषित हुई हैं वही पृथ्वी के तापमान में वृद्धि होने के साथ-साथ पृथ्वी का पर्यावरण भी निरंतर बिगड़ता जा रहा है। उन्होंने कहा कि आज हम सभी का यह दायित्व है कि हम नदियों और पर्यावरण की सुरक्षा के लिये अपने खेतों, वनों की पड़त भूमि एवं वनों में पौधरोपण करायें। कमिश्नर ने कहा है कि पौधरोपण से हरियाली बढ़ेगी, हरियाली से नदियों का जलस्तर बढ़ेगा और पर्यावरण स्वच्छ होगा। कमिश्नर ने शहडोल संभाग के नागरिकों से अपील करते हुये कहा है कि वे नदियों के संरक्षण एवं पर्यावरण की सुरक्षा के लिये पौधरोपण करें। कमिश्नर श्री जैन शुक्रवार को अमरकंटक में जल संरक्षण और पर्यावरण की सुरक्षा विषय पर आयोजित संभाग स्तरीय कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे।
कमिश्नर ने कहा कि तालाबों और नदियों में जल संरक्षण और संवर्धन के कार्यो को बढ़ावा देने के लिये शहडोल संभाग के शासकीय तालाबों से अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही की जायेगी तथा तालाबों को पुराने स्वरूप में लाया जायेगा। इसी प्रकार गांव की चरनोई भूमि में अतिक्रमण को हटा कर ऐसी भूमि में जल संरक्षण के कार्य कराये जायेंगे। उन्होंने कहा कि शहडोल नगर के सभी तालाबों से गाद निकालने की कार्यवाही आगामी रविवार से प्रारंभ की जायेगी। कमिश्नर ने कार्यशाला में बताया कि पुष्पराजगढ़ क्षेत्र में ग्रीष्मकाल में कुएं और हैण्डपंप सूख जाते हैं जिसे दृष्टिगत रखते हुये पुष्पराजगढ़ क्षेत्र में जलसंरक्षण एवं संवर्धन के व्यापक स्तर पर कार्य कराये जायेंगे। कमिश्नर ने निर्देश दिये हैं कि जलसंरक्षण और संवर्धन के प्रति लोगों में जागरुकता लाने के लिये ग्राम पंचायत के सचिव उद्यानिकी विभाग, आजीविका मिशन के सदस्य और कृषि विभाग के मैदानी कर्मचारी गांवो में जाकर लोगों को जल संरक्षण एवं संवर्धन का महत्व बतायेंगे तथा उन्हें जल संरक्षण संरचनाएं बनाने के लिये प्रेरित और प्रोत्साहित करेंगे। कमिश्नर ने बताया कि शहडोल संभाग में तिपान नदी और घोड़छत्र नदी के पुनर्जीवन का कार्य कराया जा रहा है। उन्होंने कहा कि दोनों नदियों में जल संरक्षण के कार्य कराये जा रहे हैं। इसके अलावा शहडोल संभाग में अन्य नदियों में जल संरक्षण एवं जल संवर्धन के लिये कार्य कराये जाने की कार्य योजना बनाई जा रही है।

-बहुत लाभकारी है सहजन
कार्यशाला को संबोधित करते हुये मुख्य आयकर आयुक्त भोपाल पंतजली झा ने कहा कि मैने शासकीय सेवा के साथ-साथ एक कृषक के रूप में भी कार्य किया है। कार्यशाला में उन्होंने अपने खेती के अनुभव साझा करते हुये कहा कि खस, सहजन और शू-बबूल की खेती से किसानों को अच्छा लाभ हो सकता है वहीं पर्यावरण की सुरक्षा हो सकती है। मुख्य आयकर आयुक्त ने कहा कि सहजन की फलियां कैल्शियम का बड़ा त्रोत है। सहजन की फलियों और उसके पत्तों में सभी तरह के मिनरल्स और विटामिन उपलब्ध होते हैं। यह पर्यावरण की सुरक्षा में भी हमारी मदद करता है। इसी प्रकार पर्यावरण और जल संरक्षण के लिये खस के घास की खेती मील का पत्थर साबित हो सकती है। खस की जड़ें लगभग 5 मीटर तक अंदर तक जाती है तथा दूषित पानी को भी शुद्ध करती है। उन्होने कहा कि खस का एक पौधा लगभग 15 किलो कार्बन को सोख कर पर्यावरण को शुद्ध करता है। उन्होने कहा कि खस का व्यवसायिक उपयोग भी किया जा सकता है, किसान को इससे कई प्रकार का लाभ हो सकता है।

-60 फीसदी धार घटी
उन्होने कहा कि पर्यावरण की सुरक्षा के लिये कीटनाशकों का उपयोग कम करना चाहिये तथा जैविक खेती को बढ़ावा देना चाहिये। उन्होंने कहा कि हर्रा, बहेड़ा, गंधराज, नीबू भी लगाने के लिये लोगों को प्रोत्साहित करना चाहिये। उन्होंने कहा कि हमारा हजारों साल से संजोया गया परम्परागत ज्ञान खत्म हो रहा है इसे बचाने की आवश्यकता है। मुख्य आयकर आयुक्त ने कहा कि हमारी छोटी नदियां मर चुकी हैं, मुख्य नदियों में पानी का प्रवाह 60 प्रतिशत कम हो गया है, हमारी खेती की मिट्टी बंजर हो रही है। इन चुनौतियों से निपटने के लिये जंगलों में हमें वृहद तदाद में हर वर्ष वृक्ष लगाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि धरती की सुंदरता और उसके अस्तित्व को सिर्फ वृक्ष ही बचा सकते हैं। इसके लिये हमें सभी को मिल कर अच्छे मन से प्रयास करने होंगे।

-वन विभाग प्रयासरत
कार्यशाला को संबोधित करते हुये मुख्य वन संरक्षक ए.के. जोशी ने कहा कि वनों के संरक्षण के लिये वन विभाग लगभग 150 वर्षो से काम कर रहा है। प्राध्यापक पर्यावरण तरूण ठाकुर ने कहा कि अमरकंटक से लगभग 16 नदियों के निकलने का उल्लेख प्राप्त होता है, किन्तु पानी के त्रोत बंद होने के कारण नदियां विलुप्त हो गई हैं। उन्होंने कहा कि आज नदियों को संरक्षित करने की आवश्यकता है। कार्यशाला में अमरकंटक के विभिन्न आश्रमों के धर्मगुरुओं ने भी नर्मदा सहित अन्य नदियों को संरक्षित करने के लिये अपने विचार रखे। कार्यशाला में मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत शहडोल एस.कृष्ण चैतन्य, मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत अनूपपुर सरोधन सिंह, दिनेश कुमार मौर्य, शहडोल वनवृत्त के सभी वन मण्डलाधिकारी अधिकारी, शहडोल संभाग के सभी मुख्य नगर पालिका अधिकारी तथा आजीविका मिशन के अधिकारी भी उपस्थित रहे।
प्रवीण/17/05/2019