अंतर्राष्ट्रीय मैचों की तरह घरेलू मैचों में भी किया जा सकता है डीआरएस का इस्तेमाल

-कप्तानों-कोचों की सालाना बैठक में इस मुद्दे पर की गई चर्चा
मुंबई । भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) अपने घरेलू क्रिकेट का स्तर बेहतर करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय मैचों की तरह घरेलू मैचों में भी डिसीजन रिव्यू सिस्टम (डीआरएस) का इस्तेमाल करने पर विचार कर रहा है। बोर्ड इस बात पर भी विचार कर रहा है कि घरेलू मैचों में टॉस का इस्तेमाल भी नहीं किया जाए। कप्तानों और कोचों की सालाना बैठक में अन्य लोगों के अलावा इन दो बिंदुओं पर भी चर्चा हुई।
बैठक में घरेलू क्रिकेट में टॉस का इस्तेमाल न करने पर कहा गया कि टॉस के बजाए मेहमान टीम को यह तय करने का मौका मिलना चाहिए कि वह पहले बैटिंग करना चाहते हैं या बोलिंग। इससे मेजबान टीम को अपने घरेलू मैदान पर मिलने वाले अडवांटेज को कम किया जा सकता है। बीसीसीआई अधिकारी ने बताया कि कप्तानों और कोचों ने यह प्रस्ताव रखा कि होम एडवांटेज को बेअसर करने के लिए टॉस को खेल से हटा दिया जाना चाहिए। हालांकि इस पर कोई निर्णय लेने से पहले यह देखना होगा कि क्या यह संभव है कि बीसीसीआई अपने घरेलू स्तर पर भी आईसीसी के नियमों का ही पालन करता है।
आईसीसी के नियम कहते हैं कि आपको मैच की शुरुआत से पहले टॉस की जरूरत है। इंग्लिश क्रिकेट बोर्ड इस नियम को अपना सकता है, क्योंकि वे अपने मेरिलबोर्न क्रिकेट क्लब (एमसीसी) के नियमों का पालन करता है। इस बैठक में भाग लेने वाले लोग इस बात पर भी सहमत दिखे कि रणजी ट्राफी में प्लेट ग्रुप में दो क्वॉर्टर फाइनल का तरीका सही नहीं हैं। बीसीसीआई ने पिछले सत्र में ही रणजी टीमों को तीन ग्रुप में बांटा है।
पहले दो ग्रुप (ए और बी) में एलीट टीमों को रखा गया है, जबकि ग्रुप सी में नई टीमें (नॉर्थईस्ट, उत्तराखंड और बिहार) शामिल हैं। रणजी ट्रोफी के क्वॉर्टर फाइनल में इन तीन ग्रुपों की टीमें अंतिम 8 में अपनी जगह पक्की करती हैं। इस प्लानिंग से नई टीमों का अंतिम 8 में पहुंचना तो बहुत आसान है, जबकि एलीट ग्रुप की टीमों के लिए अंतिम 8 में जगह बना पाना मुश्किल हो रहा है। पिछले सीजन बीसीसीआई ने ग्रुप ए और बी से 5 टीमों को क्वॉर्टर फाइनल खेलने का मौका दिया था। बैठक के ज्यादातर सदस्य चाहते थे कि इसे 5 की बजाए 6 किया जाए और ग्रुप सी से 2 टीमों को पहले की ही तरह अंतिम 8 में जगह पक्की करने का मौका मिले।