स्वतंत्रता दिवस पर जावेद अख्तर ने की पोस्ट, यूजर ने किया ट्रोल, मिला जवाब

-औकात में रहो जब तुम्हारे बाप-दादा अंग्रेजों के जूते चाट रहे थे तब……
नई दिल्ली । अपने बेबाक बोल के लिए अक्सर सुर्खियों में रहने वाले दिग्गज स्क्रीनराइटर और लिरिसिस्ट जावेद अख्तर अपने विचारों और बयानों को लेकर कई बार ट्रोल हो जाते हैं, लेकिन वह चुन-चुनकर जवाब देने से भी परहेज नहीं करते। हाल ही में 15 अगस्त के मौके पर उन्होंने एक पोस्ट शेयर की और हर भारतीय की तरह देश के प्रति अपना प्यार जाहिर किया। एक यूजर ने कमेंट करते हुए उन्हें ‘पाकिस्तानी’ बताया तो गुस्साए जावेद अख्तर ने उसे खरी-खरी सुनाई और ट्रोलर का मुंह बंद कर दिया।
जावेद अख्तर अपने राष्ट्रप्रेम को लेकर कई बार जाहिर कर चुके हैं। अक्सर अपनी बातों को खुलकर कहने की वजह से वो ट्रोल भी होते हैं। हाल ही में उन्होंने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर पोस्ट शेयर किया तो उन्हें ट्रोल किया गया। जावेद अख्तर ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर पोस्ट शेयर करते हुए लिखा- ‘मेरे सभी भारतीय बहनों और भाइयों को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि यह आजादी हमें थाली में परोसी नहीं गई. आज हमें उन लोगों को याद करना चाहिए और उन्हें सलाम करना चाहिए, जो हमें आजादी दिलाने के लिए जेल गए और जो फांसी पर चढ़ गए। आइए हम यह तय करें कि हम इस अनमोल तोहफे को कभी न गंवाएं।
इस पोस्ट पर यूजर ने कमेंट करते हुए लिखा- आपका स्वतंत्रता दिवस तो 14 अगस्त यानी पाकिस्तान का स्वतंत्रता दिवस है। ये कमेंट देखने के बाद जावेद अख्तर का गुस्सा आसमान पर चढ़ गया और फिर उन्होंने उस यूजर को मुंहतोड़ जवाब दिया।
जावेद अख्तर ने लिखा बेटा जब तुम्हारे बाप दादा अंग्रेज के जूते चाट रहे थे, मेरे बुजुर्ग देश की आजादी के लिए काला पानी में मर रहे थे। अपनी औकात में रहो। दरअसल, काला पानी अंडमान द्वीप समूह में स्थित सेलुलर जेल को संदर्भित करता है, जहां ब्रिटिश शासन में स्वतंत्रता सेनानियों को कठोर कारावास दिया जाता था।
बता दें, जावेद अख्तर के परदादा, फजल-ए-हक खैराबादी (1797-1861) एक जाने-माने भारतीय इस्लामी विद्वान, कवि और स्वतंत्रता सेनानी थे। जावेद अख्तर के परदादा भी ब्रिटिश शासन के विरोध में खड़े थे और 1857 में उन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ एक फतवा जारी किया, जिसके कारण उन्हें अंडमान द्वीप समूह में काला पानी की सजा दी गई वहीं उनका निधन हो गया। जावेद अख्तर के दादा मुज्तर खैराबादी और पिता जांनिसार अख्तर भी प्रसिद्ध कवि थे और स्वतंत्रता, प्रतिरोध और सामाजिक न्याय के लिए अपनी रचनाओं के लिए मशहूर थे।