जड़ बदला,चेतन बदला है।
मिट्टी का कण-कण बदला है।
सागर,नदियां,झीलें,जंगल,
कुदरत का आंगन बदला है।
सूरज,तारे,चांद की फितरत,
और हवा का मन बदला है।
धूप,रौशनी,आंधी-पानी,
धरती संग,गगन बदला है।
पंछी का व्यवहार भी बदला,
पशुओं का जीवन बदला है।
फूलों की खुशबू बदली है,
फसलों का यौवन बदला है।
स्वाद अनाजों का बदला है,
फल का मीठापन बदला है।
कोठी,कोठा,घर,दरवाजे,
घर का हर बर्तन बदला है।
मौसम जैसा सब बदले हैं,
सबका मन दर्पण बदला है।
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बिनोद बेगाना
जमशेदपुर, झारखंड