• प्रमोद दीक्षित मलय
खुशियों का चंदन बांटें, बढ़ सबको मीत बनायें।
हर देहरी पर मानवता का, नेह दीप जलायें।।
रहे न कोई भूखा अब, सबको सुंदर वसन मिलें।
प्यास मिटे मानव मन की, प्रेम प्रकट हो नयन खिलें।।
खेतों पर फसलें महकें, तरुओं में किसलय फूटें।
कली-सुमन झूमें डाली, सम्बंध सुवास न छूटे।।
उर उमंग कृषक सहेजें, श्रम आदर सुख धन पावे।
खुशियां घर-घर, दीप जलें, प्रमुदित मन नाचें-गावें।।
फलक सजे जग करुणा का, ममता पोषण प्यार मिले।
समता के सुर उगें हृदय, कलुष विषमता कटे-गले।।
हर आंगन सूरज मुसकाये, विहग प्रभाती गायें।
अम्बर छिटके रजत ज्योत्स्ना, ‘मलय’ सुधा बरसाये।
••
शिक्षक , बांदा (उ.प्र)
मोबा. 94520-85234