सीख ले

 साथ में रहना गमों के, मुस्कुराना सीख ले।

मुस्कुराना सीख ले तू , खिलखिलाना सीख ले।।

चार दिन की जिंदगी है और खुशियां एक पल

एक पल का जश्न तू जी भर मनाना सीख ले।।

गंगा जमुना और जमजम तो नहाई है बहुत

अपने अंतस की नदी में भी नहाना सीख ले।।

तूने अपनी ग़ज़ल औरों को सुनाई हैं बहुत

इक गजल औरों की भी तू गुनगुनाना सीख ले।।

दिल बहुत तोड़े हैं तुमने, दिल जलाए हैं बहुत

दिल जलाना छोड़ दे तू दिल लगाना सीख ले।।

दीन दुखियों के गमों में साथ में होकर खड़ा

ईद ,  होली और  दिवाली  मनाना सीख ले।।

राजगद्दी के लिए तू झोपड़े तक था गया

झोपड़े से महल का रिश्ता निभाना सीख ले।।

# शिवचरण चौहान

कानपुर