हारते इससे पहले भी थे…

     डॉ. सुरेश कुमार मिश्रा ‘उरतृप्त’, मो. नं. 73 8657 8657

               शोले फिल्म में एक गाना है – ‘ये दोस्ती हम नहीं तोडेंगे’  इसी में एक लाइन है – ‘तेरी जीत मेरी जीत, तेरी हार मेरी हार’ और हमारे सामने वीरू और जय की दोस्ती याद हो आती है। टी-20 वर्ल्ड कप में अफगानिस्तान और न्यूजीलैंड के मैच से पहले तक अफगानिस्तान के लिए हम यही लाइन बार-बार गा रहे थे। दुर्भाग्य से शोले में जिस तरह जय का गेम ओवर होता है ठीक उसी तरह अफगानिस्तान का गेम ओवर हो गया। उधर अफगानिस्तान बाहर हुआ और इधर भारत। इस मैच से किसको कितना धक्का लगा, यह तो मैं ठीक से नहीं बता सकता। लेकिन महान शायर गालिब साहब इस सदमे से अभी तक उबर नहीं पाए हैं। अब आप कहेंगे कि गालिब साहब को गुजरे अरसा हो गया। उनका इस मैच से क्या लेना-देना? भाई लेना-देना क्यों नहीं है! बराबर लेना-देना है।

               बात यूँ है कि अफगानिस्तान और न्यूजीलैंड का मैच देखने गालिब साहब की आत्मा यमराज की विशेष अनुमति लेकर यूएई पहुँची थी। उन्हें भी एक सौ तीस करोड़ आबादी वालों की तरह अफगानिस्तान से बड़ी उम्मीद थी। अब लिखे को कौन मिटा सकता है। मजबूत टीम ने कमजोर टीम  को मटियामैल कर दिया। इस तरह हिंदुस्तान के बाहर होने पर गालिब साहब अपना गम छिपा न सके। वे अपना दुखड़ा यमराज के सामने रोते हैं। दोनों का संवाद इस तरह है-

यमराजः मैंने आपको पहले ही बताया था कि न्यूजीलैंड मेहनती टीम है। उसने भारत को हराया है। अफगानिस्तान से उम्मीद करना बेकार है। फिर भी आप नहीं माने। ऐसा क्यों?

गालिबः हमको मालूम है हिंदुस्तान की हक़ीक़त लेकिन,

दिल के खुश रखने को ‘ग़ालिब’ ये मैच देखना जरूरी था।

यमराजः क्या लाभ हुआ? ये आईपीएल के शेर हैं, पाकिस्तान और न्यूजीलैंड के सामने तो इनकी घिग्घी बंध गयी थी। इनके लिए आप किस उम्मीद से गए थे?

गालिबः वो हराए स्कॉटलैंड को ऐसे, कि नई उम्मीद जागते थे!

कभी हम अफगानिस्तान, तो कभी नमिबिया को देखते थे।

यमराजः अफगानिस्तान और स्कॉटलैंड को हराने पर आपको ताज्जुब नहीं हुआ? बलवानों से हारकर कमजोरों पर कहर बरपाना यह कहाँ की वीरता है?  

गालिबः नज़र लगे न कहीं मेरे शेरों को, जो छः ओवर में नब्बे बनाते हैं।

क्यों बार-बार आप मुझे, पाक-न्यूजीलैंड मैचों की याद दिलाते हैं।।

यमराजः अब तो मामला साफ हो गया न! दो-चार दिनों में उनकी घर वापसी है। अब भी आप कुछ कहना चाहेंगे?  

गालिबः पहले भी यही टीम थी, अब भी यही टीम है,

डुबोया मुझको उन्होंने, जो टीम में नहीं हैं!

यमराजः आप को क्या लगता है टीम क्यों हारी होगी? आईपीएल खेलना या बहुत सारे विज्ञापन करना? 

गालिबः बहुत खेलने या विज्ञापनों से हम नहीं थकते।

जब दिन ही खराब हो तो फिर सूरमाओं का क्या है?

यमराजः रस्सी जल गई मगर बल नहीं गया। आपकी शायरी में कहना हो तो- 

               हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पर दम निकले,

               बहुत निकले मेरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले।

               क्या आपको यह बेइज्जती जैसी नहीं लगती। इतने बड़े कागजी शेर जमीन पर ढेर हो जाने पर आपको बुरा नहीं लगता।  

गालिबः (सहमति में सिर हिलाते हुए) 

हारते तो इससे पहले भी थे यमराज हम लेकिन

इतने बेआबरू होकर वर्ल्ड कप के कूचे से नहीं निकले।