नेताजी कहिन

पौराणिक कथाओं में या मिथकों में हमें नाना प्रकार के दंड का उदाहरण मिलता है  l जिसमें यमराज के आज्ञा अनुसार उन अधम मनुष्यों को उनके दुराचार करने के उपरांत उन्हें खौलते तेल के कुँड़ में डालने से लेकर नाना प्रकार के कष्टों से प्रताड़ित करने के उदाहरण प्राचीन मिथकों से लेकर पुराणों आदि में वर्णित हैं l  लेकिन, कालांतर में जनता को किस दंँड़ की सजा मिल रही है इसका पता जनता को नहीं होता है l 

लेकिन, लोकतंत्र में अभी एक ताजा उदाहरण आया है l  जिसमें श्रीमान् कहते हुए नजर आते हैं l  कि जब आदमी की कमाई बढ़ी है तो मँहगाई क्यों ना बढ़े  l  यानि जो आज आम आदमी कुछ कम – बेसी कमा ले रहा है l  उसके ऊपर भी सरकार की नजर बराबर बनी हुई है  l  यानि आदमी का तेल जिस तरह से मँहगाई ने निकाल रखा है l  उसका सारा श्रेय श्रीमान् जी को मिलना चाहिए l  श्रीमान् जी के अनुसार अगर आदमी की कमाई बढ़ी है l  तो मँहगाई भी साथ ही साथ बढ़नी चाहिए l  क्या, गजब का तर्क है l  यानि आपको श्रीमान् खाने – पीने से ज्यादा कभी उबरने ही नहीं देंगें l यानि आप हमेशा याचक की मुद्रा में बनें रहें l  यही श्रीमान् जी की कामना है l  एक श्रीमान् कुछ सालों पहले कहते थें l कि चौरासी रुपये तक कमाने वाला आदमी गरीब नहीं है l आज श्रीमान् बगलें झांँकतें हैं l  और आलू से सोना ईजाद करने की विधि पर शोध- कार्य  कर रहें हैं l  उक्त श्रीमान् जो ऐसी दलील दे रहें हैं l  वो आपका रस गन्ने मशीन में पेरकर ईख के रस  की तरह ” जनता रस ” का रसास्वादन कर रहें हैं  l  या कोल्हू   में पेरकर जनता का तेल निकाल कर अपनी सरकार को हृष्ट- पुष्ट  बना रहें हैं l  या सरकार की मालिश कर रहें हैं l  लेकिन  जिस तरह का तर्क श्रीमान् दे रहें हैं l 

आने वाले लोकसभा और विधानसभा  के चुनावों में श्रीमान् का तेल जनता जरूर  निकालेगी इतना तय है l 

और श्रीमान् बगलें झांँक  रहें होंगे   ! 

महेश कुमार केशरी

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