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आओ हम संग मिल के, बचा वक्त बिताते हैं
उम्र के इस अंतिम पड़ाव में हम मुस्कुराते हैं।।
ताईम्र हमनें गुजारी जिंदगी बस जिम्मेदारी में
सुकून के दो पल खुद के लिए जी हम जाते हैं।।
जिनके लिए हम कभी खुद को वक्त न दे पाए
आज वो ही देखो वृद्धाश्रम का दर हमें दिखाते हैं।।
चलो सुकून हुआ वो हमारे बच्चे तो संग खुश हैं
हमारा क्या अब बची जिंदगी में यादें गुनगुनाते हैं।।
तुम हो मेरे संग तो फिर काहे का ग़म है मुझे
तुम्हारे इस वक्त पर भी हक पाकर हम इतराते हैं।।
सुनों हम तुम्से पहले तोड़े सांसों के ये सच बंधन
तुम बिन न हम कभी जी पाएंगे यही हम बताते हैं।।
तुम्हारी वीना हरदम़ तुम्हें यही तो कहती रहती
अपना ख्याल तुम खुद रखना यही हम समझाते हैं।।
वीना आडवानी तन्वी
नागपुर, महाराष्ट्र