पुरुषों का सौंदर्य

पुरुषों का सौंदर्य

तीखा नाक नक्श नही,

ना ही गौर वर्ण

इनके सौंदर्य का मान हैं

पुरुषों का सौंदर्य तो

पिता, भाई, पति, दोस्त के रूप में है।

जिम्मेदारियों से झुकी कमर के बोझ में है।

दर्द में भी आँसू छुपाते

अपनों को ढांढस बंधाने में है

पुरुषों का सौंदर्य…।

पुरुषों का सौंदर्य

गुलाबी अधरों में नही

परिवार की खुशियों में

स्वयं की खुशियों को दबा

अधरों पर लाने वाली

मुस्कराहट में है

पुरुषों का सौंदर्य….।

पुरुषों के सौंदर्य में ही

एक नारी बसती है

तभी तो शिव अर्धनारीश्वर

भी कहलाते हैं।

यही अर्धनारीश्वर रूप ही

पुरुषों का सौंदर्य हैं।

जो कभी प्रेम में

कभी वात्सल्य में

कभी अपने पन में

झलकता रहता हैं।

और यही सौंदर्य

पुरुषों को पुरुषोत्तम बनाता हैं।

गरिमा राकेश गौत्तम

पता:-कोटा राजस्थान

कोटा राजस्थान