क से—– कमाल कर दिया तुने
ख से—-खंजर सीने के पार कर दिया तुने,
ग से —–इस तरह मैं जान से,
घ से —- बेघर हुआ दिल के घर से।
ड़ —–खाली दे हाथ पे ताली👏
च से—– चाहत थी मेरी बस एक यही,
छ से—–छु कर मेरे होंठों को दे दो नमी,
ज से——ज़माने के दस्तूर भी निराले हैं,
झ से—–इश्क में तो झूमते दिलवाले हैं।
ञ ——-खाली दे हाथ पे ताली 👏
ट से —-टिम-टिम जुगनू सी ज़िन्दगी को,
ठ से —-ठहर कर चंद पल फिर चाहे जाओ
ड से —-डोलने ना देना इमान इश्क का
ढ से—-ढेरों चाहे झूठी-सच्ची कसमें खाओ।
ण ——-खाली दे हाथ पे ताली 👏
त से —-तमस मिटा दो जीवन का मेरा
थ से—-थम ना जाए कहीं सांसों का रेला
द से—-दमे-आखिर है और यही है तमन्ना
ध से—-धड़कन हो मेरी और दिल हो तेरा,
न से—ना तेरा कहीं और ना मेरा हो बसेरा।
प से —-प्यार किया है कोई पाप तो नहीं
फ से —-खुदा माना तुझे फ़कत सजदा नही,
ब से—-बोल दो प्यार के बोलना गुनाह तो नहीं,
भ से—भाए तेरा चेहरा मुझे,ये मेरी ख़ता तो नहीं,
म से— मैंने तेरे सिवा किसी खुदा की बंदगी की नहीं।
य से——-ये शाम और ये तन्हाई मुझे सताएं,
र से—-रहूं हर पल बेताब, तुम बिन चैन ना आए,
ल से—लाख चाहूं भूलूं तुम्हें मगर ये दिल भूल ना पाए,
व से—वो भी एक पल था जब हम मिले थे,
से से—– सुबह-शाम वो यादें सताती हैं,
श से-शनै: शनै: वो यादें बन कर तीर दिल पर घाव कर जाएं।
ष से—प्यार सी पवित्र कोई चीज़ नहीं, षड्यंत्र का नहीं प्यार,
ह से–हृदय से ग़र सोचते तो यूं ना होते रूसवा सरे-बाज़ार,
क्ष से–क्षण-भंगुर सी है ज़िन्दगानी, व्यर्थ ना गवांओ, करो प्यार,
त्र से–त्रिशंकु बन अधर में रह गया मैं ना इस पार ना उस पार,
ज्ञ से–कोई तो प्यार का ज्ञानी आए, मुझे प्रेम नदी से कराए पार।
प्रेम बजाज
जगाधरी ( यमुनानगर)