तेरे नज़ारे देखता हूँ

नींद में रोज़ रोज़ तुम्हारे  ख़्वाब  बुनता  हूँ।

आते  जाते  देखता  हूँ  महसूस  करता  हूं।

मुझे तो ये भी  नही पता है कि  वो मुझ से

प्यार करती है या  नही लेकिन में करता हूँ।

कैसे  बया  करे  अपना हाल -ए- दिल की

मैं  ख़ुद से  ज़ियादा अब  तुझमे  रहता  हूँ।

जहाँ  तक मेरी नज़र  पहुँचे  सिर्फ़ तेरे  ही

नज़ारे देख कर गुनगुनाता हूँ मुस्कुराता हूँ।

तुम पास  नही  होते तब मैं  अपनी  तरफ

आने वाले चेहरों  में सिर्फ  तुम्हे देखता हूं।

पूछना कितनी मोहब्बत करता हूँ की एक

पल तुम्हें याद करते ख़ुदको भूल जाता हूँ।

      नीक राजपूत

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