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मैं भटक रहा हूँ
एक अंधेरी सुरंग में
तलाश में हूँ
एक अदद रोशनी की
ताकि पा सकूँ
बाहर निकलने का रास्ता
और ताजी आजाद हवा में
साँस ले सकूँ
मैं पाना चाहता हूँ
वह धरती
जो आदमी के पसीने की गंध से
महक रही है
मैं देखना चाहता हूँ आसमान
जहाँ सूरज ,चाँद और तारे
दिशा-दिशा को रोशन कर रहे हैं
मैं मिलना चाहता हूँ
उस आदमी से
जो मेरे आदमी से
मेरी पहचान करा सके ।
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-दुर्गाप्रसाद झाला .
मो. 9407381651.