‘‘ एैसे सियाने होते हैं ’’
कुछ लोग एैसे,- सियाने होते हैं।
बड़े मतलबी – दिवाने होते हैं।।
भले – मानुष के नये चेहरों में।
तेवर उनके पुराने होते हैं।।
अपने पन का नकाब ओढ़े हुए।
अंदर से आखिर बेगाने होते हैं।।
खनकते हैं कलदार से जिनको।
खोटे ही सिक्के चलाने होते हैं।।
मिज़ाज जिनका ‘‘राही’’ को भटकाना।
विचित्र उनके जमाने होते हैं।।
-फतेसिंह परमार ‘‘राही’’
प्रितम सुखदन नयापुरा, खारिया
महेष्वर
मो. नं. 9589079519