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पागल होते हैं वो लड़के
जो लड़कीयों का शोषण करते हैं,
देखते हैं घूर घूर कर और
मिलने के जाल बिछाते हैं…..
प्यार कि दुहाई देकर
उस पर ज़ोर चलाते हैं
जो मान जाये लड़की
तो हवस का शिकार बनाते हैं….
ना माने लड़की
तो अपने अहं में दोस्तों संग
बलात्कार करते हैं
या राह चलते उस पर
तेज़ाब छिड़क वार करते हैं….
कहीं का नहीं छोड़ते
वो मासूम-सीलड़कियों को
उनकी ज़िंदगी को तमाम कर देते हैं
पल-पल जलते रोम-रोम को
अपनी हंसी से घायल करते हैं….
दण्ड इन्हें भी तो कोई दो
ऐसे पाप-कर्मों का
भूल जाते हैं कि खुद की भी
माँ, बेटी, बहन होगी
अंजाम भी भुगते ये अपने बुरे कर्मों का…
सजा में इन्हें सजाया जाये
तेज़ाब से इन्हें नहलाया जायें,
कर श्रृंगार धार-धार चाकू से
चील कौवों को परोसा जायें….
भरी बस्ती में नग्न घुमाया जाये
पानी को तरस जायें इतना मारा जाये
छलनी कर दें जिस्म इतना इनका
मौत की माँगें दुहाई पर
मौत ना उन्हें दिया जाये…..
इज़्ज़त क्या होती है सीख लें
दुनिया भर इनके कर्म दहशत भर दें
लड़कियों को बेचारी समझने वाले
सौ बार सोचें,
फिर कोई अपराध कर लें…….
● रीना अग्रवाल, सोहेला (उड़ीसा)