शिक्षा उपकर के करोड़ों रुपए के बाद भी क्यों नहीं सुधरे स्कूलों के हालात

हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ को शासन को देना है जवाब, सुनवाई आज
भोपाल । शिक्षा उपकर के रुप में प्रदेश के सरकारी स्कूलों में करोड़ों रुपए जमा होने के बाद भी स्कूलों के हालात क्यों नहीं सुधरे है। स्कूलों में बिजली, पीने का पानी, बैठने के लिए फर्नीचर और मौसम के कहर से बचने का कोई इंतजाम क्यों नहीं है। इस बारे में प्रदेश सरकार को हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ को जवाब देना है। इस मामले में आज ही सुनवाई होने वाली है। एक जन‎हित याचिका में कहा है कि हर साल नगर निगम और नगर पालिका संपत्ति कर के साथ शिक्षा उपकर के रूप में करोड़ों रुपये वसूलती हैं। सूचना के अधिकार के तहत मिली जानकारी के मुताबिक अकेले इंदौर नगर निगम ने 2017-2018 में शिक्षा उपकर के रूप में नागरिकों से 31 करोड़ 76 लाख वसूले थे। इसी तरह 2018-19 में 28 करोड़ 50 लाख रुपए से ज्यादा शिक्षा उपकर के रूप में वसूले गए थे। इस रकम से नगर निगम को सरकारी स्कूलों की हालात सुधारना थी। सरकारी स्कूलों में बिजली-पानी और फर्नीचर के इंतजाम के साथ-साथ शिक्षकों की व्यवस्था भी करना थी लेकिन ऐसा नहीं किया गया। इंदौर नगर निगम ने 2018-19 में वसूली 28 करोड़ 50 लाख रुपए में से महज 7 करोड़ 92 लाख रुपए स्कूलों पर खर्च किए। यह रकम भी सिर्फ निर्माण पर खर्च की गई। पूरे प्रदेश में नगर निगम और नगर पालिकाएं शिक्षा उपकर के रूप में नागरिकों से वसूली कर रही हैं, लेकिन इस रकम का इस्तेमाल कहांं हो रहा है, किसी को नहीं पता। याचिका की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने प्रमुख सचिव नगरीय प्रशासन विभाग, प्रमुख सचिव शिक्षा विभाग, इंदौर कलेक्टर, निगमायुक्त और जिला शिक्षा अधिकारी से जवाब मांगा है। मंगलवार को इस मामले में सभी पक्षकारों को जवाब देना है। गौरतलब है कि हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका चल रही है। इसे इंदौर निवासी महादेव चौबे ने एडवोकेट मनीष विजयवर्गीय के माध्यम से दायर किया है।