सपनों की उड़ान

पंख हौसलों के लेकर सपनों की उड़ान भरूं,

जीवन में कुछ नवल धवल करने की चाह करूं।

रह करके वसुधा के तल पर उड़ूं गगन में जाऊं,

नभ तल का स्पर्श मनोहर करके वापस आऊं ।

हृदय पटल पर उठें हिलोरें कुछ कर जाने की,

अंतस में जो भाव जगे हैं सब पूरा कर पाने की।

सपनों में भरती उड़ान पर पहुंच गगन में जाऊं,

नभ तल का स्पर्श मनोहर करके वापस आऊं।

जीवन दैदीप्य बनाने को प्रयास की ज्योति जलाऊं,

अदम्य साहस भर हृदय, मैं  मार्ग प्रशस्त बनाऊं।

करने को संकल्पित हूं मैं पूर्ण मनोरथ कर पाऊं,

नभ तल का स्पर्श मनोहर करके वापस आऊं।

पर्वत सम अवरोध भी आएं या आए तूफान,

चाहे कौंधे  बिजली चाहे बरसे नीर मूसलाधार।

कोई रोक सके ना मुझको, मैं साहस से भर जाऊं,

नभ तल का स्पर्श मनोहर करके वापस आऊं।

हौंसला बुलंद हिमगिरि सा मेरा भरूं सपनों की उड़ान,

चाल मेरी नदिया सी कल-कल रूकने का लूं नहीं नाम।

आए रुकावट सागर सी गहरी तैर पार कर जाऊं,

नभ तल का स्पर्श मनोहर करके वापस आऊं।

नवल उत्थान को संकल्पित ‘अलका’ भरे सपनों की उड़ान,

उन्मुक्त हृदय से करते धरा गगन मिल करके यशोगान।

संघर्षों का करूं सामना उत्साह की ज्योति जलाऊं,

नभ तल का स्पर्श मनोहर करके वापस आऊं।

अलका गुप्ता ‘प्रियदर्शिनी’

लखनऊ, उत्तर प्रदेश।