बस इतना ख्याल रखना

नए रिश्ते ना बने ,तो भूल तुम वक्त बर्बाद मत करना।

ना समझ बन कर रहे सारे ही,तुम मलाल मत करना। 

रिश्तो की डोर जो खींच रहे हैं तुम उन्हें खींचने देना,

पुराने टूटने न पाए ,बस तुम इतना सा ख्याल रखना।

एक बार पुकारने से आए,उसे नजर अंदाज न करना।

पुराना खंडहर समझ,तू नई ईमारत निर्माण न करना।

बस रहे हैं सारे ही पुराने रिश्ते दिले गहराई में  वीणा,

वक्त कितना ही बदले ,वहां किसी और को न रखना। 

दिखा कर  रिसते जख्मों को ,जख्म ताजा ना करना।

नहीं एहसास होगा किसी को ,खुद शर्मिंदा न करना।

पुराने किस्से सुनाने से तो,कुछ भी हासिल नहीं होगा,

वो ही मिला जो हिस्से में था,बस इतना ख्याल रखना। 

रिश्तो को समेटने की जितनी हो सके कोशिश करना।

कुछ यूं निभा  कर रिश्तों को तुम, सारे गम दूर करना।

सच कहने की तो,सदा ही खराब आदत रही वीणा की, 

रिश्तो के मायाजाल में,एक रिश्ता नीम पेड़ सा रखना।

वीणा वैष्णव रागिनी    राजसमंद

    राजस्थान