मेरी खामोशी

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   मेरी खामोशी   

   परिचायक है एक ऐसे गहन

   अंतद्वंद ‌‌की जिसका क्षणिक

   कंपन प्रशांत सागर की उद्वेलित

   लहरों सा ही तंरगित है

   मानस तरंगों के

   अंत: से टकराने की गर्जना,

   वस्तुत वैसी ही है जैसी

   गर्जना होती है विचलित लहरों

   के टकराने पर,किंतु

   अंत: गर्जना पर पड़ा है खामोशी का

   यह झीना आवरण,

   फलत:सुप्त ज्वालामुखी सा ही तृप्त

   प्रतिक्षण सुलगता,रहता,किंतु

   ख़ामोश।

   मेरी खामोशी मेरी खामोशी है।

   जिसे तोड़ना मेरे ही बस में है।

         किरण श्रीवास्तव