पुष्प

                                   

       मनहरण छंद

फूल   अनेक  रंग  मे,

समाए  अंग -अंग मे।

प्यारा    सुंदर   लगते,

कांटो  के  भी संग में।।

फूल  मन को भाता है,

माली से गहरा नाता है।

कलियों  से खिलता है,

कांटों    से  टकराता।।

गुलाब  मन  को  मोहें,

चमेली     सुंदर  सोहें।

मन    आनंदित   होते,

सूरज    मुखी   जोहें।।

देवताओ    में  चढ़ाते,

गले  के  हार   बनाते।

धागा से माला गूंथ के,

घरों  को  भी सजाते।।

विनती सुनो हे! माली,

बचन ना  मेरी  खाली।

शहीदों   के   शव  पर,

देश   के    रखवाली।।

          देवीदीन चंद्रवंशी

        तहसील पुष्पराजगढ़

     जिला अनूपपुर मध्य प्रदे