श्री राम

राम सिया के चरण पर, धर दो अपना माथ।

भली करेंगे राम जी, हनुमत देंगे साथ।।1

राम सिया जब वन चले, लक्ष्मन लेके साथ।

अवध नगर पीछे चले, माता रोने द्वार।।2

दशरथ जी मूर्छित भए, गए दोनों सुकुमार।

पुत्र वधू सीता गयी,वन में पति के साथ।।3

राम लखन वन-वन फिरै, संग ले सीता मात।

कंद मूल फल खा करें, गुजर बसर दिन रात।।4

मानव का अवतार ले , सृष्टि के करतार।

मानव दुख अनुभव करें, मानव तन को धार।।5

स्वर्ण हिरण को देखके, सिया रही ललचाय।

राम गए मृग मारने, पत्नी धर्म निभाय।।6

हिरण मरण सीता हरण,भए वियोगि श्री राम।

ढूंढत ढूंढत चल चलें, किष्किंधा के द्वार।।7

मिले भगत हनुमान से, गद-गद भए हनुमान।

दोस्त मिला सुग्रीव सा, मारा वालि महान।।8

लंका चढ़ रावण मारे, दिया विभीषण राज।

चौदह वर्ष पूरे हुए, आए अयोध्या आए।।9

सजा अवध दिय पंगत से, चहुं दिशि खुशियां छाई।

राम अवध में लौट अए, ‘अलका’ जय-जय गाई।।10

अलका गुप्ता ‘प्रियदर्शिनी’

लखनऊ उत्तर प्रदेश।