जन्मदिन

कैसा जन्मदिन!

कैसा हर्ष!

ज्यों करूँ 

गुज़रे पलों की याद

भर उठता 

मन में विषाद

जीवन की भट्टी में

कोयला बनकर

राख में तब्दील 

होते चले गए

वार, सप्ताह

महीने और वर्ष

कैसा जन्मदिन!

कैसा हर्ष!

सवाल इतने

क़दम-क़दम पर

रहा जूझता

इनसे जीवन भर

अनुत्तरित रहे

कितने ही सवाल

दूर खड़ा 

हँसता है काल

कर न पाया

जीवन से विमर्श

कैसा जन्मदिन!

कैसा हर्ष!!

डा. सारिका मुकेश

तमिलनाडु

81241 63491