बादल का दिल पत्थर का नहीं होता
प्रेम जागृत होता ह
आकर्षक सुंदर,
धरती के लिए
धरती पर आने को
तरसते बादल
तभी तो
पानी का प्रेम -संदेशा भेजते रहे
रिमझिम फुहारों से ।
धरती का रोम -रोम, संदेशा पाकर
हरियाली बन खड़े हो जाते
मोर पंखों को फैलाकर
स्वागत हेतु नाचने लगते
किंतु बादल चले जाते
बेवफाई करके
छोड़ जाते हरियाली
पानी की यादें
धरती पर
प्रेम संदेश के रूप में ।
संजय वर्मा “दृष्टि “
मनावर जिला धार मप्र